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कुछ तो अच्छा हुआ! इस लॉकडाउन में बिजली की खपत हुई कम

कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से इस बार बिहार में बिजली की खपत कम हुई है. साल 2019 के मुकाबले साल 2020 में एक दिन में 25 वाट का अंतर देखा गया है.

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Published : Jun 22, 2020, 7:56 PM IST

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पटना: कोरोना काल के इस दौर में देश से लेकर दुनिया तक की आर्थिक व्यवस्था चरमराई हुई है. सरकारी व्यवस्था से लेकर प्रशासनिक सिस्टम सब कुछ बेपटरी हो गया है. इन हालातों में भारत के ऐसे राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं जिनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही डगमगाई हुई है.

बात करें बिहार की तो यहां आम लोगों की नौकरी के साथ उद्योगों पर भी असर पड़ा है. सरकार को कमाई देने वाले सभी स्त्रोत जीर्ण-शीर्ण हालत में हो चले हैं और अपनी बदहाली पर आंसू बहाते नजर आ रहे हैं. शुरुआत करते हैं सरकारी संस्था बिजली विभाग से. विभाग के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल बिजली की खपत कम हुई है.

इस साल कम खपत हुई बिजली
जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 के फरवरी से लेकर मई तक के महीने में पटना में 650 मेगावाट प्रतिदिन के हिसाब से बिजली की खपत हुई थी, जबकि इस साल 2020 में फरवरी से मई तक के महीने में 625 मेगावाट प्रतिदिन के हिसाब से ही बिजली की खपत हुई है. वहीं, अगर पूरे बिहार की बात करें तो साल 2019 में 930 मेगावाट प्रतिदिन के हिसाब से ही बिजली की खपत होती थी. वहीं साल 2020 में 905 मेगावाट प्रतिदिनके हिसाब से ही बिजली की खपत हुई है.

बिहार विद्युत भवन

लॉकडाउन का भी पड़ा असर
बढ़ते तापमान को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि इस साल भीषण गर्मी पड़ेगी और इसका असर इलेक्ट्रॉनिक बाजार पर पड़ेगा. व्यापारी आस लगाए बैठे थे कि इस बार एसी-पंखे वगैरह की ताबड़तोड़ ब्रिकी होगी. लेकिन मार्च में ही भारत में कोरोना ने दस्तक दे दी. इसके बाद केंद्र सरकार को लॉकडाउन का फैसला लेना पड़ा. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद 24 मार्च को मध्य रात्रि से देश भर में लॉकडाउन लागू हो गया.

साल 2020 में 625 मेगावाट प्रतिदिन के हिसाब से ही बिजली की खपत हुई

वहीं, लॉकडाउन के कारण सभी दुकानें बंद थीं. लेकिन रियायत मिलते ही मार्केट खुली और एसी, पंखे और कुलर की बिक्री शुरू हो गई है. बताया गया है कि प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ पीस की बिक्री हो रही है. इसके बावजूद ये पिछले साल से कम है. यही नहीं, लोगों पर इस धारणा का भी असर पड़ा कि कोरोना से बचने के लिए ढंडे पानी और ढंडी चीजों से बचें और इनका उपयोग न करें.

साल 2019 में 650 मेगावाट प्रतिदिन बिजली की खपत हुई

क्या कहते हैं महाप्रबंधक
इस बारे में बिजली विभाग के महाप्रबंधक दिलिप कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के कमर्शियल बंद हो गए थे. यही वजह है कि इस बार बिजली कम खपत हुई है. उन्होंने बताया कि मौसम का भी थोड़ा प्रभाव पड़ा है. पिछले साल के मुकाबले इस साल गर्मी थोड़ी कम पड़ी है और अब मानसून ने भी दस्तक दे दिया है तो बिजली की खपत कम होगी.

बिजली पर भी पड़ा लॉकडाउन का प्रभाव

कम बिका बिजली से चलने वाला सामान
वहीं, दुकानदारों की मानें तो लॉकडाउन की वजह से दो महीनों तक दुकाने बंद रही. जिसका बिक्री पर असर पड़ा. पिछले साल के मकाबले इस साल कुलर, पंखा, एसी इत्यादि सामानों की बिक्री नहीं हुई. दुकानदान अनुज कुमार ने बताया कि पहले एक दिन में 300 से 400 के बीच पंखा, एसी और कुलर बेच देते थे. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. अब तो बरसात का मौसम भी शुरू हो गया है. इस कारण बिक्री भी कम होगी.

देखें पूरी रिपोर्ट

गौरतलब है कि मार्च महीने के आखिरी सप्ताह से गर्मी शुरू हो जाती है और जून महीने में तापमान काफी बढ़ जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन की वजह से प्राकृति में काफी परिवर्तन देखने को मिला, जिससे तापमान में भी बढ़ोतरी कम दर्ज की गई. इन सब का असर मानव जीवन पर भी पड़ा.

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