पटना: देश के मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Electoral strategist Prashant Kishor) ने देश के राजनीतिक दलों के लिए चुनाव जीतने की योजना बनायी. कहीं सफल हुए तो कभी उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं रहा. अब प्रशांत किशोर खुद बिहार के सियासी पिच पर बैटिंग करने की योजना बनायी है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए रणनीतिकार (Strategist for CM Nitish Kumar) के रूप में काम कर चुके प्रशांत किशोर अब उनके विकल्प बनने को तैयार हैं. प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में दस्तक दे दिया है. बिहार के राजनीतिक चक्रव्यूह को भेदने के लिए पीके का एक्शन प्लान तैयार है.
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सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले राज्य पर पीके की नजर:10 साल तक पॉलिटिकल स्ट्रैटेजी की दुनिया में काम करने के बाद चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार के राजनीतिक मैदान में उतर चुके हैं. पीके जन सुराज पदयात्रा, बात बिहार की आदि प्रोग्राम के जरिए बिहार की सियासी जमीन पर पांव जमाने की कोशिश में जुटे हैं. बिहार में 2024 में लोकसभा चुनाव और 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसको देखते हुए पीके ने अपनी कंपनी आईपैड की तैनाती कर दी है. पीके की रणनीति जन सुराज पदयात्रा 15000 इन्फ्लुएंसर से मिलेंगे यूथ इंपॉर्टेंट प्रोग्राम छात्रों पर विशेष फोकस रहेगा.
सोशल कनेक्टिंग के जरिए संपर्क स्थापित: बात बिहार की के तहत 30 लाख लोगों से सोशल कनेक्टिंग के जरिए संपर्क स्थापित किया जाएगा. जानकार बताते हैं कि पीके का बिहार में लागू किए जाने वाला मास्टर प्लान मिशन मिशन बंगाल से मिलता जुलता है. प्रशांत किशोर पहले बिहार के गांव और कस्बों में बदलाव की बयार लाना चाहते हैं. प्रशांत किशोर ने 12000 गांवों में पुस्तकालय खोलने की योजना बनाई है. इसके अलावा गांव और पंचायतों के स्तर पर क्लब की भी स्थापना की जानी है. प्रशांत किशोर अपनी छवि प्रतिबद्ध राजनेता के रूप में बनाना चाहते हैं. गांव-गांव जाकर प्रशांत किशोर घर-घर में दस्तक देंगे और महिलाओं और युवाओं तक अपनी बात पहुंचाएंगे.
छोटे दलों से गठबंधन की योजना: फिलहाल प्रशांत किशोर बिहार में कैंप किए हुए हैं. हर रोज युवाओं के साथ साथ राजनीतिक रूप से सक्रिय लोगों से मिलकर मशविरा कर रहे हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर छोटे-छोटे दलों के नेताओं के साथ संपर्क साध रहे हैं. एलजेपीआर अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी सरीखे नेताओं से भी वह संपर्क में हैं. भविष्य में छोटे दलों से गठबंधन करने की योजना भी है. बिहार में भी पीके बंगाल की तरह महिलाओं और युवाओं पर विशेष फोकस कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पीके बंगाल की स्ट्रैटेजी से बिहार की सत्ता तक पहुंच पाएंगे.