पटना:बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों का चुनाव (Election of Five Seats of Rajya Sabha in Bihar) अगले महीने होना है. चुनाव आयोग ने 10 जून को मतदान की तिथि तय की है. जुलाई में ही विधान परिषद के 7 सीट भी खाली हो रही है. खाली हो रही 7 सीटों में से 5 सीट जदयू के हैं लेकिन विधानसभा में संख्या बल के कारण अब एनडीए को 4 सीट और आरजेडी के साथ महागठबंधन को 3 सीट मिलना तय है. ऐसे में जदयू को तो नुकसान होगा ही साथ ही जीतन राम मांझी की भी इन सीटों पर नजर है. मांझी पहले भी लगातार बयान बाजी करते रहे हैं. राज्य सभा के चुनाव को लेकर भी जीतन राम मांझी ने बयान दिया कि एक सीट मिलना चाहिए एक सीट नहीं मिलता देख मांझी ने बगावती बयान भी दिए थे लेकिन असल में जीतन राम मांझी की नजर सात विधान परिषद के सीटों पर लगी है और इसलिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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'जीतन राम मांझी लोकल बॉडी के विधान परिषद चुनाव में भी सीट मांगा था लेकिन नहीं मिला तो उसका भी कसक कहीं ना कहीं है और अब राज्यसभा का भी सीट नहीं मिला है. पहले मुकेश सहनी अलग हुए और अब मांझी का तेवर भी तल्ख है तो एनडीए के लिए यह परेशानी की बात है कि सहयोगियों को साथ नहीं रख पा रही है लेकिन मांझी फिलहाल सरकार तो नहीं गिरा सकते हैं. 2024 और 2025 में नीतीश कुमार और बीजेपी की मुश्किलें जरूर बढ़ा सकते हैं.'- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ
मांझी की 'प्रेशर' पॉलटिक्स:मांझी को लेकर जदयू और बीजेपी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जदयू के सांसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी का कहना है कि मांझी देश के बड़े नेता हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं. दबाव बनाने की बात नहीं है हर की इच्छा होती है और अपनी बात रख रहे हैं. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि मांझी एनडीए के बड़े नेता हैं. उनके बारे में मेरा बोलना सही नहीं होगा ये तो वहीं, बेहतर बता सकते हैं या फिर जो उनके समकक्ष नेता हैं वही कुछ बोलेंगे.