पटना:बिहार में नदी जोड़ योजना की चर्चा उसी समय से हो रही है जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) प्रधानमंत्री थे. कई बार बिहार सरकारने भी डीपीआर बनाकर भी भेजा था, जिसके बाद कोसी-मेची नदी योजना (Kosi-Mechi River Project) की डीपीआर भी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन मामला राशि को लेकर अटका हुआ है. चार-पांच साल पहले जब इस योजना की स्वीकृति मिली थी उस समय 4900 करोड़ राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. अब जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) भी कहते हैं कि यह राशि काफी बढ़ेगी.
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सबसे बड़ी बात कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन बिहार की योजना को केंद्र सरकार (Central Government) ने स्वीकार नहीं किया है. वहीं, एमपी की योजना को कई साल पहले हरी झंडी दे दी गई. अब बिहार सरकार पिछले कई सालों से राष्ट्रीय परियोजना में इसे शामिल करने की मांग कर रही है.
बिहार में कोसी-मेची नदी योजना की चर्चा पिछले दो दशक से हो रही है. नदियों को जोड़ने की चर्चा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में खूब हुई थी, क्योंकि बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ प्रभावित है, इसलिए बिहार सरकार नदियों को जोड़ने की योजना को लेकर कई बार केंद्र से गुहार लगा चुकी है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना से बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ से निजात मिल सकती है और सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. कोसी मेची नदी योजना की स्वीकृति मिलने के बाद भी उस पर काम शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि जब स्वीकृति मिली तो उस समय 4900 करोड़ों की राशि इस योजना पर खर्च होने वाली थी.
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केंद्र सरकार ने उसी समय मध्य प्रदेश की योजना को केंद्रीय योजना के रूप में स्वीकृति दे दी. केंद्रीय योजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रावधान कर रखा है कि कम से कम 2,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए और इसी आधार पर मध्य प्रदेश की केन बेतवा नदी जोड़ योजना को केंद्र ने अपनी योजना मान लिया और इसके तहत 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी और केवल राज्य को 10% राशि ही खर्च करना पड़ेगी.
बिहार सरकार भी कोसी मेची नदी योजना को केंद्रीय योजना में शामिल करने की मांग करती रही है, क्योंकि इससे योजना को जमीन पर उतारने में जो राशि खर्च होगी उसका 90% हिस्सा केंद्र सरकार को देना होगा, केवल 10% राशि बिहार सरकार को खर्च करना पड़ेगा. लगभग 5 साल पहले जब योजना स्वीकृत हुई थी, तो उस समय 4900 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि अब राशि और बढ़ जाएगी और इसलिए हम लोग केंद्र से राष्ट्रीय परियोजना में कोसी मेची नदी योजना को शामिल करने की मांग करते रहे हैं.