पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(CM Nitish Kumar) की यूएसपी गवर्नेंस है. नौकरशाहों के बलबूते नीतीश कुमार गवर्नेंस का दावा करते हैं लेकिन जनप्रतिनिधि लंबे समय से नौकरशाहों पर बेलगाम होने का आरोप लगाते रहे हैं. बेलगाम नौकरशाही को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच तलवारें खिंच चुकी है. नरकटियागंज विधायक रश्मि वर्मा के इस्तीफे की पेशकश के बाद विवाद और गहरा गया है. हालांकि एनडीए नेता मामले पर पर्दा डालने में जुटे हैं.
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दरअसल नरकटियागंज विधायक रश्मि वर्मा का आरोप था कि नौकरशाह उनकी बात नहीं सुनते. उनकी नाराजगी पुलिस के सीनियर पदाधिकारी से थी, जो उनकी बात नहीं सुन रहे थे. विवाद आगे ना बढ़े, इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सीजफायर किया और तमाम नेताओं को इस मुद्दे पर बोलने से मना कर दिया.
यह पहला मौका नहीं है, जब बिहार में नौकरशाही (Bureaucracy in Bihar) को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच विवाद हुआ हो. इससे पहले तबादले को लेकर विभाग के प्रधान सचिव और मंत्रियों के बीच तनातनी हुई थी. बीजेपी कोटे के मंत्री रामप्रीत पासवान, जीवेश मिश्रा और नीरज बबलू नौकरशाही को लेकर सवाल उठा चुके हैं.
बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने तो विधानसभा में ही नौकरशाहों के रवैया पर सरकार को घेरा था, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीच में हस्तक्षेप भी करना पड़ा. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी नौकरशाही के रवैए पर सवाल खड़े कर चुके हैं. शराबबंदी और अपराध नियंत्रण को लेकर संजय जायसवाल कई बार खुले तौर पर बयान दे चुके हैं कि बिहार के नौकरशाह बेलगाम हो चुके हैं और वह भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं.
याद करिए किस तरह नौकरशाहों के रवैये से नाराज होकर जेडीयू कोटे से मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि बाद में काफी मान मनौव्वल के बाद उन्होंने कार्यभार संभाला. मदन साहनी ने तो यहां तक कह दिया था कि चपरासी भी हमारी बात नहीं सुनते.