बिहार

bihar

ETV Bharat / city

गंगा बहा ले गयी पटना दियरा के दूध की कमाई, पटना में बढ़ गयी महंगाई

बाढ़ की मार से करीब-करीब पूरा बिहार कराह रहा है. सरकार भले ही बाढ़ पीड़ितों तक राहत पहुंचाने का दावा कर रही है लेकिन वास्तविकता अलग है. दूसरी ओर इस बाढ़ ने पटना की लाइफ लाइन कहे जाने वाले दियरा की आर्थिक तौर पर कमर तोड़ दी है. पटना में दूध आपूर्ति के कारोबार से दियरा के लगभग 8 लाख लोगों का पेट पलता है. आज बाढ़ के चलते यह पूरी तरह से ठप है. पढ़ें यह विस्तृत रिपोर्ट.

flood
flood

By

Published : Aug 20, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 9:14 PM IST

पटना: बिहार बाढ़ (Flood in Bihar) की चपेट में है. सूबे के दूसरे जिलों की बात छोड़ दीजिए, सिर्फ राजधानी पटना (Patna) जिले की 7 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ के कारण खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश है. गाढ़ी कमाई से बना आशियना पानी में डूब गया है. जिंदगी सडक पर आ गयी है. गुजारे के लिए होने वाली कमाई गंगा की तेज धारा में बह गयी है. यह तो सिर्फ दियरा के लोगों का दर्द है. लेकिन दियरा में आयी बाढ़ ने पटना की आर्थिक कमर को तोड़ दी है.

ये भी पढ़ें: बिहार में 37 लाख लोग झेल रहे हैं बाढ़ की आफत, पीड़ितों में बांटे गये 222 करोड़

राजधानी पटना को हर दिन दियरा से 60 हजार से 1 लाख लीटर दूध मिलता था जो पूरी तरह दियरा में आये बाढ़ के कारण ठप है. दियरा से आने वाले दूध के बंद हो जाने से पटना को या तो दूध नहीं मिल रहा है या फिर राजधानी के लोग महंगा दूध पी रहे हैं. पटना-दियरा का हर दिन का लगभग 20 लाख रुपया बाढ़ की भेंट चढ़ गया (Patna Milk Business Stalled) है. वहां के लोगों की जिंदगी अपने वजूद को बचाने की जंग लड़ रही है.

गंगा नदी (River Ganges)को सिर्फ पटना जिले की बात करें तो लगभग 80 किमी लम्बाई और 40 किमी का दियरा पूरी तरह गंगा के पानी से भरा हुआ है. पटना के मनेर से लेकर मोकामा तक गंगा वेल्ट का हर गांव पानी में डूब गया है. सोन, सुअरमरवा से लेकर मोकामा तक गंगा का रूप इतना विकराल है कि लोगों का कुछ बचा ही नहीं.

ये भी पढ़ें: ग्राउंड रिपोर्ट: लखीसराय के इस गांव में बाढ़ पीड़ितों तक नहीं पहुंची मदद, भूखे रहने को मजबूर लोग

बात गंगा से प्रभावित इलाकों की करें तो इसमें मनेर प्रखंड की 6 पंचायतें- जिसमे फीता 74 पूर्वी, फीता 74 पश्चिमी और फीता 74 मध्य, मंगरपाल, हुलासी टोला, तौफीर और सुअरमरवा 15 किमी पूरी तरह गंगा में डूबा हुआ है. इसकी कुल आबादी 2 लाख है. यहां की पूरी आबादी पशुपालन से जुड़ी है और पटना को दूध पिलाती है.

तरह दानापुर के पुरानी पानापुर, पुराना मानस, नया पानापुर, कासिमचक, हेत्तनपुर , गंगहारा और पतलापुर, जिसकी कुल आबादी 2.50 लाख है. यह पूरी आबादी पशुपालन से जुड़ी है. सारण जिले में पड़ने वाले अकिलपुर, हासिलपुर, कसमर पंचायत जो दिघवारा प्रखंड में है, यहां की 1.50 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है. दानापुर से दिघवारा तक पानी ही पानी दिख रहा है. जहां कभी दूध मक्खन की बात होती थी आज चारों तरफ सिर्फ पानी की कलकल आवाज और खमोश जिंदगी है.

ये भी पढ़ें: पटना: दानापुर दियारा के बाढ़ प्रभावित गांवों का रामकृपाल यादव ने किया दौरा, अधिकारियों को दिए कई निर्देश

पटना में इसी तरह नकटा दियारा 40 हजार की आबादी, फतुहा की 70 हजार की आबादी, खुशरूपुर की 50 हजार की आबादी, बख्तियारपुर की 80 हजार की आबादी, बाढ़ की 1.50 लाख की आबादी, अथमलगोला की 40 हजार की आबादी, पंडारक की 35 हजार की आबादी, मोकामा की 2 लाख की आबादी बाढ़ का दंश को झेल रही है. इन इलाकों के लोगों का मुख्य काम ही पशुपालन है.

यहां के लोगों की मेहनत है कि पटना को सस्ते दर पर दूध मिल पाता है. इन इलाकों के पशुपालको की जिंदगी के हर रंग पर गंगा का पानी कहर बरपा गया है. पहले लगातार बढ़े पानी के कारण दूध वाले जानवरों को छोड़कर लोगों ने छोटे जानवरों को गंगा में छोड़ दिया. अन्य के साथ किसी तरह से जिंदगी काट रहे हैं.

पटना को हर दिन इन इलाकों से लगभग 1 लाख लीटर दूध मिलता है. जिसमें 45 से 55 हजार लीटर दुधिया दूध (जिस दूध से क्रीम निकाल लिया जाता है) पटना को मिलता था. इसकी आपूर्ति पटना में चाय दुकानों पर होती है. इसके अलावा लगभग 30 से 35 हजार लीटर पटना के घरों तक पहुंचता है. इस काम से दियरा के लगभग 8 लाख लोगों का पेट चलता है. यह आमदनी पूरी तरह से बाढ़ की भेंट चढ़ गयी है. दियरा से आना वाला दूध पटना के बाजारों में मिलने वाले पैकेट के दूध से सस्ता भी होता है.

पैकेट का गोल्ड दूध 55 रूपए में मिलता है वहीं उसी टक्कर का दियरा का दूध पटना को 40 रूपए में मिलता है. दियरा से दूध नहीं आने से पटना के लोगों को महंगा दूध खरीदना पड़ रहा है. गंगा में बाढ़ और इस काम के बंद होने से दियरा को हर दिन लगभग 20 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. गंगा के दूसरी तरफ बसा दियरा पटना की लाइफ लाइन है जो यहां सस्ते दर दूध-सब्जी आदि उपलब्ध कराता है.

आज उस दियरा के लोगों की जिंदगी इतनी सस्ती हो गयी है कि दो जून की रोटी के लिए ये परिवार सरकारी आसरे पर हैं. आखिल भारतीय बाढ़ पीड़ित मोर्चा को अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने ईटीवी को बताया कि सरकार की मंशा बाढ़ को लेकर सकारात्मक है ही नहीं. नहीं तो इस पर काम होता. किसानों का सब कुछ पानी में बह गया है. साल भर का राशन भी पानी में डूब गया है, जानवरों का चारा बचा ही नहीं. अब कर्ज की जिंदगी दियरा के लोगों की नियती बन गयी है.

Last Updated : Aug 20, 2021, 9:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details