पटनाः राज्य के सभी विभागों को पेपरलेस (Departments of Bihar will be Paperless) करने की दिशा में साल 2018 से ही प्रयास जारी है. कोरोना संक्रमण के दौर में सरकारी विभागों को पेपरलेस करने के कार्य में कमी आई है. नतीजा ये है कि अब तक करीब 10 विभाग और एक समाहरणालय पेपरलेस हो चुके हैं. लेकिन इसे गति देने के लिए बिहार सरकार का आईटी विभाग भी अब जुट गया है.
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आईटी विभाग इस प्रयास में जुटा है कि प्रदेश के सभी विभागों के साथ-साथ जिला मुख्यालय भी पेपरमुक्त किया जाए. जिससे कि कम समय में ज्यादा फाइलों का निपटारा हो सके. पेपरलेस किए जाने से केवल स्टेशनरी के सामानों की बचत करके विभाग को लाखों रुपये की बचत होगी. इतना ही नहीं आसानी से हर फाइल का ट्रैकिंग किया जा सकता है. इससे विभाग के कामकाज में पारदर्शिता आएगी.
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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रदेश के श्रम संसाधन एवं आईटी मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि फाइलों के ऑनलाइन होने के बाद काम ज्यादा दिनों तक रुके नहीं रहेंगे. विभाग के उच्च अधिकारी देख सकेंगे कि किसने कितने दिनों तक फाइल को रोका है. इससे एक समय सीमा और जिम्मेदारी तय कर दी जायेगी कि फाइल का निपटारा तय समय सीमा में किया जाना है. इससे लंबित फाइलों के निष्पादन में तेजी आएगी.
आईटी मंत्री ने कहा कि आईटी विभाग की यह जिम्मेदारी है कि जल्द से जल्द सभी विभागों को ई-ऑफिस से जोड़ा जाए. उन्होंने कहा कि साल 2022-23 तक जिला मुख्यालयों को ई-ऑफिस में बदलने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि राज्य में सबसे पहले सहरसा जिला पूर्ण रूप से ई-ऑफिस बना है. दरभंगा जिले में जेनेरल सेक्शन को पेपरलेस कर दिया गया है.
जीवेश मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के आईटी, सहकारिता, नगर विकास एवं आवास, समाज कल्याण, कला-संस्कृति एवं युवा, ग्रामीण विकास, सड़क निर्माण, भवन निर्माण, जल संसाधन विभाग, शामिल हैं. उन्होंने बताया कि पेपरलेस हुए विभागों को अलमारियों और फाइलों से मुक्ति मिल गई है. वहीं, इन विभागों को लाखों रुपये की बचत हो रही है.
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