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सावन की दूसरी सोमवारी को बम-बम भोले के जयकारे से भक्तिमय हुआ माहौल

आज सावन मास का दूसरा सोमवार है. सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. आज सावन के दूसरे सोमवार पर विशेष संयोग बन रहा है. जानिए कैसे करें अपने ईष्ट देव भोलेनाथ को प्रसन्न.

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Published : Aug 2, 2021, 10:38 AM IST

पटना:पहले सावन का महीना आते ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता था. हालांकि इस वर्ष कोरोना संक्रमण (Corona Infection) को लेकर जिला प्रशासन ने मंदिरों को खोलने की इजाजत नहीं दी है. इसके बावजूद दूसरे सोमवार को राजधानी पटना के कई इलाकों के मंदिरों में भगवान शिव (LORD SHIVA) को बेलपत्र और जल अर्पित करने वालों की भारी भीड़ देखी गयी. बम-बम भोले और जय शिव-जय शिव के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो गया.

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राजधानी पटना में पहली सोमवारी पर मंदिरों में भक्तों की विशाल भीड़ उमड़ी थी. दूसरी सोमवारी को भी पटना के मंदिरों में संक्रमण के भय को किनारे रख कर अच्छी-खासी संख्या में लोग भोले बाबा के दरबार में पहुंचे. गौरतलब हो कि सावन में भगवान शंकर की पूजा होती है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने धार्मिक स्थलों को नहीं खोलने का आदेश दिया था. इसके बावजूद कुछ एक मंदिर अभी भी खुले हुए हैं. उन मंदिरों में भक्त भगवान शंकर की पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

इधर, जमुई में दूसरी सोमवारी पर अहले सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचने लगे. हालांकि लगातार दुसरे वर्ष इस बार भी कोरोना वैश्विक महामारी के कारण सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना करने की मनाही है लेकिन श्रद्धालुओं के सैलाब के आगे गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ती दिखी. श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों और शिवालयों में उमड़ पड़ी.

जिले के खैरा थाना क्षेत्र के गिद्धेश्वर पहाड़ के पास स्थित गिद्धेश्वर नाथ शिव मंदिर, जिले के महादेव सिमरिया में स्थित धनेश्वर धाम मंदिर, जिले के पतनेश्वर पहाड़ पर स्थित पतनेश्वर नाथ मंदिर सहित सैकड़ों छोटे-बड़े मंदिर शिवालयों का नजारा एक सा था.

एक तरफ कोरोना वैश्विक महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी सुरक्षा के मद्देनजर झारखंड के बाबा धाम मंदिर सहित बड़े-बड़े मंदिरों के कपाट बंद हैं. कांवड़ यात्रा पर रोक है. लेकिन लगातार दूसरी सोमवारी पर इसका पालन जमुई में दिख नहीं रहा.

सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ जल से स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा घर या मंदिर जाएं, वहां भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर या फिर शिवलिंग हो तो सर्वोत्तम होगा, उसे स्वच्छ जल से धोकर साफ कर लें. फिर तांबे के लोटे या कांस्य के पात्र में जल भरें. फिर उसमें गंगा जल मिला लें.

भगवान शिव का जलाभिषेक करें और उनको सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करें. प्रसाद में फल और मिठाई चढाएं. भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्र, हल्दी और केतकी का फूल कदापि न अर्पित करें. शिवलिंग (Shivling) पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, जल और दूध अर्पित करने से से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए.

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