PFI के टारगेट पर थी PM नरेंद्र मोदी की पटना रैली, ED का बड़ा खुलासा!
NIA ने गुरुवार काे 15 राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान बिहार के पूर्णिया सहित देश के अलग अलग ठिकानों से कई पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. इसी में केरल से शरीफ की गिरफ्तारी हुई थी, जिसने एनआईए और प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा किया.
पीएफआई
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Published : Sep 24, 2022, 4:27 PM IST
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Updated : Sep 24, 2022, 5:48 PM IST
पटना:प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने पटना में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को टारगेट करने की साजिश (PFI Planned to Attack Modi Rally At Patna ) रची थी. ED ने गुरुवार को केरल से गिरफ्तार पीएफआई सदस्य शफीक पैठ के खिलाफ अपने रिमांड नोट में यह सनसनीखेज दावा किया है. बता दें कि NIA ने गुरुवार को देशव्यापी छापेमारी की थी. जांच एजेंसी ने पीएफआई और उससे जुड़े लोगों पर टेरर फंडिंग और कैम्प चलाने के मामले में 106 लोगों को गिरफ्तार किया था.
PFI के टारगेट पर थी मोदी की पटना रैली :ED ने कहा है कि इस साल 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान संगठन ने हमला करने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था. यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री के आगमन से पहले जुलाई में पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, अन्यथा एक बार प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता था. इससे पहले भी साल 2013 में राजधानी पटना के गांधी मैदान में नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान ब्लास्ट हुआ था.
2013 में मोदी की चुनावी रैली में हुआ था हमलाः गौरतलब है कि अक्टूबर 2013 में पटना के ही गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में आतंकी हमला हुआ था. तब इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े जिहादी आतंकियों ने रैली में विस्फोट किया था. इस बीच जांच में यह भी पता चला है कि पीएफआई ने पिछले कुछ सालों में 120 करोड़ रुपये सिर्फ इसलिए जुटाए हैं कि वह देशभर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें. इस फंड में ज्यादातर हिस्सा कैश में है. ईडी के पास इसका पूरा डीटेल है.
फुलवारी में टेरर मॉड्यूल का हुआ था खुलासाः 11 जुलाई को फुलवारी शरीफ के नया टोला में PFI और SDPI से जुड़े लोगों के अड्डे पर पटना पुलिस ने छापेमारी की थी. पुलिस ने इस मामले में अलग-अलग जगहों से चार लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें खुलासा हुआ था कि इनके निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं, पूरे देश की व्यवस्था भी थी. भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश के लिए इन लोगों ने सात पेज का एक्शन प्लान बनाया था. जिसमें लिखा था-10 प्रतिशत मुस्लिम साथ दें तो बहुसंख्यक घुटनों पर आ जाएंगे. इनकी योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से दलित-OBC को अलग करने की भी थी.
अभी भी नामजद 22 अपराधी हैं फरारः इस मामले में फुलवारी शरीफ थाना प्रभारी के बयान पर बिहार के अन्य जिलों से 26 लोगों को नामजद किया गया था. इस मामले में अभी भी 22 लोग पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं. बाद में यह मामला NIA को सौंप दिया गया था. सवाल यह उठ रहा है कि अभी भी नामजद 22 अपराधी बिहार पुलिस के साथ-साथ एनआईए की पकड़ से दूर हैं. इनकी गिरफ्तारी को लेकर एनआईए के द्वारा बिहार के विभिन्न इलाकों में कई बार छापेमारी भी की गई है परंतु अब तक यह गिरफ्त से बाहर हैं.
PFI ने बना रखा है PLAN B: बिहार पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पीएफआई को भी पता है कि जिस तरह से उनके ऊपर कार्रवाई की जा रही है जल्दी ही बैन लग सकता है. इसके लिए उसने प्लान बी भी तैयार कर रखा था. अगर केंद्र सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध लगाती है तो इससे जुड़े लोग तैयार किए गए प्लान बी को एक्टिव कर देंगे. इस प्लान के तहत अलग-अलग नाम से तैयार किए गए संगठनों को एक्टिव किया जाएगा. एनआईए की जांच में पता चला है कि पीएफआई के द्वारा नौ संगठन तैयार किया है. हालांकि इसके अलावा भी कई और संगठन का खुलासा जल्द ही किया जा सकता. विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इन संगठनों पर भी अब दबिश बनाने की तैयारी नेशनल जांच एजेंसी एनआईए के द्वारा की जा रही है.
संख्या
संगठन का नाम
किस रूप में काम करता
1.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया
पॉलिटिकल विंग
2.
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
स्टूडेंट विंग
3.
नेशनल वुमन ऑफ इंडिया
वुमन विंग
4.
ऑल इंडिया इमाम्स काउंसलिंग
रिलीजियस विंग
5.
ऑल इंडिया लीगल काउंसलिंग
एडवोकेट
6.
रेहाब इंडिया फाउंडेशन
सोशल एक्टिविटीज
7.
नेशनल कांफ्रेडशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन
ह्यूमन राइट्स विंग
8.
सोशल डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन
मजदूर संगठन
9.
एचआरडीएफ
22 सितबंर को एनआईए ने एक साथ देश के 15 राज्यों में पीएफआई के दफ्तर और उसके कार्यकर्ताओं के घरों छापेमारी की. इस ऑपरेशन में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के 200 से अधिक अधिकारियों, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के साथ-साथ, कम से कम दस राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्तों ने के अधिकारियों ने एक साथ मिलकर काम किया. देश भर में 150 से अधिक स्थानों पर मारे गये छापे में 106 पीएफआई नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.