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इतिहास गवाह है.. जब-जब अलग हुए हैं कांग्रेस-RJD, उठाना पड़ा है भारी नुकसान - big news of bihar

बिहार में जब-जब आरजेडी और कांग्रेस अलग-अलग हुई है, तब-तब दोनों ही दलों को नुकसान हुआ है. इसका उदाहरण 2009 का लोकसभा चुनाव और 2010 का विधानसभा चुनाव है. समझें जानकार क्या कहते हैं..

लालू-सोनिया
लालू-सोनिया

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Published : Oct 28, 2021, 8:53 AM IST

पटनाःबिहार की तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव(By-Election) का प्रचार-प्रसार थम गया है. अब इन सीटों पर 30 अक्टूबर को चुनाव होंगे. उपचुनाव में ताल ठोक रहे सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस (RJD-Congress) के स्टैंड ने सियासी बवंडर खड़ा कर दिया है. हालांकि, राजनीतिक मामलों के जानकार बताते हैं कि दोनों ही दल एक दूसरे की जरूरत हैं.

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उपचुनाव को लेकर दोनों ही सीटों पर आरजेडी-कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने चुनावी मैदान में हुंकार भरकर जहां उपचुनाव में दम भर दिया. वहीं, कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने भी मैदान फतह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

इसे लेकर कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने महागठबंधन में टूट का जिम्मेदार आरजेडी को ठहराया है. उन्होंने कहा कि आरजेडी, कांग्रेस से जब-जब अलग हुई है तब-तब उसे नुकसान हुआ है. इसका परिणाम साल 2009 का लोकसभा चुनाव और 2010 का विधानसभा चुनाव है.

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वहीं, इस पर आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि अलग होने पर नुकसान हमेशा कांग्रेस को हुआ है. कांग्रेस के हमसे अलग होने के बाद नौबत यहां तक आ गई कि कांग्रेस पार्टी 4 सीटों तक सिमट गई. लेकिन साथ रहते हुए उनकी ताकत में वृद्धि ही हुई है.

हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कहा है कि राजद और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों दल कभी अलग नहीं हो सकते हैं. साजिश के तहत यह लोग उपचुनाव के बाद नीतीश सरकार को गिराना चाहते हैं, लेकिन जनता इन्हें नकार देगी.

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सभी दलों के अपने-अपने दावों के बीच राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ संजय कुमार कहते हैं कि कांग्रेस और राजद दोनों एक दूसरे की जरूरत हैं. जब-जब यह दोनों अलग हुए तब तक दोनों दलों को नुकसान हुआ है. देश में ऐसी परिस्थिति है कि लंबे समय तक दोनों दल अलग नहीं रह सकते, ये अलग बात है कि अभी दोनों दलों के बीच तलवारें खिंच गई है.

बता दें कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट से आरजेडी और कांग्रेस ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे हैं. दोनों दलों के बीच लड़ाई इस बात को लेकर शुरू हुई कि कुशेश्वरस्थान सीट कांग्रेस चाहती थी. लेकिन आरजेडी ने इसपर भी अपने उम्मीदवार को सिंबल दे दिया.

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गौरतलब है कि साल के 2009 के लोकसभा चुनाव में भी राजद और कांग्रेस की राहें अलग-अलग थी. 2010 के विधानसभा चुनाव में भी राजद और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ी, जिसमें आरजेडी को 23 सीटें तो वहीं कांग्रेस के खाते में 4 सीटें ही गई थी. इसके बाद फिर 2012 में हुए उपचुनाव में दोनों दलों की राहें अलग-अलग थी. इन 6 सीटों में 5 सीटें राजद के खाते में गई थी और जेडीयू को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था.

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