नई दिल्ली/ पटना:वामपंथी उग्रवाद के संबंध में नई दिल्ली में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध लड़ाई केन्द्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त लड़ाई है. इसका आर्थिक बोझ भी केन्द्र और राज्यों के बीच बांटकर वहन किया जाना चाहिए. यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी.
चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं
सीएम ने कहा कि देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित 30 जिलों में से बिहार के 4 जिलों गया, औरंगाबाद, जमुई एवं लखीसराय में प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं.
संसाधनों की मांग नकार देती है केंद्र सरकार
नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व से चल रहीं केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में पहले की तरह वित्त पोषण अथवा अधिक संसाधनों की मांग की जाती है, लेकिनकेंद्र सरकार नकार देती है. केन्द्र सरकार कहती है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अब राज्यों को पहले से अधिक राशि दी जा रही है. अब वे अपनी निधि से ही काम चलायें.
खर्च का पूरा जिम्मा राज्य सरकार पर
नीतीश कुमार ने कहा कि इस संबंध में हमने लगातार स्थिति स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ केन्द्र सरकार को अवगत कराया है. हमने बताया है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद कर अन्तरण हो या अनुदान, बिहार के संसाधनों में भारी कमी हुई है. उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है, लेकिन केंद्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है.
संयुक्त रुप से खर्च करने का वहन
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इन खर्चों का वहन केन्द्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए. बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति हमेशा सजग रही है और समय पर भुगतान किया जाता है. नीतीश ने कहा कि केन्द्र सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों के क्षमता संवर्द्धन और क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए संरचना संवर्द्धन की विशेष संरचना योजना प्रारम्भ की थी. इसके काफी अच्छे परिणाम देखने में आए हैं.
पुलिस आधुनिकीकरण योजना में कटौती
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है. समय के साथ अब इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है. वहीं केन्द्र सरकार की नई नीति ने पुलिस आधुनिकीकरण योजना के योजना मद में कटौती कर दी है.