पटना:बिहार के मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को ढाई महीने पहले तक कमजोर, लाचार, बेबस, लालची मुख्यमंत्री बताने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader Of Opposition Tejashwi Yadav) अब न तो सोशल मीडिया के माध्यम से नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं और ना ही अपने बयानों में नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं. तेजस्वी के निशाने पर बीजेपी के नेता और केंद्र सरकार है. अग्निपथ योजना, जातीय जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण और विशेष राज्य के दर्जा जैसे मुद्दों पर जदयू और आरजेडी की नजदीकियां बढ़ी है. वहीं जदयू की बीजेपी से विरोधाभास है.
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तेजस्वी के निशाने पर बीजेपी :इफ्तार पार्टी के बाद यह सब कुछ बदलाव हुआ है. इफ्तार पार्टी में जहां नीतीश कुमार पैदल ही राबड़ी आवास पहुंच गए थे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और लालू परिवार से मिले थे. वहीं जदयू के इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार तेजस्वी को उनकी गाड़ी तक छोड़ने गए थे और यही से सब कुछ बदलना शुरू हो गया. इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश कुमार का बॉडी लैंग्वेज पूरी तरह से बदला हुआ था. लालू प्रसाद यादव बीमार होते हैं तो नीतीश कुमार अस्पताल में जाकर उनका हाल-चाल लेते हैं. साथ ही सरकारी खर्चे पर एयर एंबुलेंस से दिल्ली एम्स भेजने की बात भी करते हैं.
पिछले कुछ महीनों में कई मुद्दों पर जदयू आरजेडी एक साथ नजर आई है जो इस प्रकार है.-
1. इफ्तार पार्टी से नीतीश कुमार का बॉडी लैंग्वेज तेजस्वी को लेकर पूरी तरह से बदला हुआ था. तेजस्वी यादव सीएम नीतीश पर सीधा अटैक नहीं कर रहे हैं, उनके निशाने पर बीजेपी है और केंद्र सरकार
2. अग्निपथ योजना को लेकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने विरोध जताया था और पार्टी उस स्टैंड पर अभी भी है. हालांकि नीतीश कुमार ने अभी तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने तो यहां तक कह दिया कि कई मामलों में जदयू का विचार आरजेडी से मिलता है. आरजेडी भी अग्निपथ योजना का विरोध कर रही है.
3. जातीय जनगणना पर जदयू और आरजेडी का सुर एक जैसा रहा है.
4. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी जदयू और आरजेडी बीजेपी से अलग रूख रखती रही है.
5. कॉमन सिविल कोड पर भी आरजेडी और जदयू की राय एक है.
6. बिहार विधानसभा में अग्निपथ योजना को लेकर विपक्ष के सदन बहिष्कार के बाद जदयू ने भी चर्चा का बहिष्कार कर दिया था और उस पर भी कई तरह के कयास लगने लगे थे.
7. विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक की चर्चा में विपक्ष के साथ जदयू भी शामिल नहीं हुई थी.
8. विशेष राज्य के दर्जे पर भी जदयू और बीजेपी नेताओं का सुर एक जैसा है.
जदयू की बीजेपी से कई मुद्दों पर विरोधाभास रहा है.-
1. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जदयू को का रूख बीजेपी से अलग है. बीजेपी कानून लागू करना चाहती है जिसका जदयू विरोध कर रहा है.
2. जातीय जनगणना को लेकर भी बीजेपी का अलग तर्क रहा है.
3. नीतीश कुमार कानून व्यवस्था को लेकर सरकार में रहते हुए बीजेपी नेताओं के रवैए पर नाराज हैं.
4. अग्नीपथ योजना को लेकर जदयू के विरोध पर बीजेपी की नाराजगी है.
5. अभी प्रधानमंत्री का विधानसभा भवन शताब्दी समापन कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया लेकिन नीतीश कुमार की तरफ से कहीं कोई विज्ञापन नहीं निकाली गई.
6. आरसीपी सिंह को लेकर भी नीतीश कुमार की नाराजगी बीजेपी से रही है और आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजे जाने का कारण भी बीजेपी से उनकी नजजदीकियां माना जाता रहा है.
'राजद और जदयू के बीच कई मुद्दों पर राय मिलती-जुलती है. खासकर जहां अल्पसंख्यक का मुद्दा आता है, दोनों करीब आते हैं और इसके कारण लगता है कि राजद और जदयू एक हो रहे हैं. खासकर इफ्तार पार्टी के बाद जब से नीतीश कुमार राजद के और तेजस्वी जदयू के इफ्तार पार्टी में आए हैं. तब से यह चर्चा है. यह भी सही है कि तेजस्वी यादव हाल के दिनों में नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट हुए हैं. नहीं तो चाचा जी कह कर भी तंज किया करते थे. इससे नीतीश कुमार चिढ़ते थे.'- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार
'यदि कोई हमारे मुद्दों पर साथ देता है, कोई हमारे इफ्तार पार्टी में आता है. जातीय जनगणना पर हमारे साथ होता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम सरकार के खिलाफ मुद्दों पर विरोध नहीं करेंगे. बिहार को विशेष मदद की बात हो तो हम केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही करेंगे ना.'- शक्ति यादव, आरजेडी प्रवक्ता
'यह सही है कि बीजेपी के साथ विशेष राज्य का दर्जा हो या फिर अग्निपथ योजना विरोध है. लेकिन हम सरकार में मजबूती के साथ हैं.'- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जेडीयू
क्या जदयू और राजद में कोई खिचड़ी पक रही है? :मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जातीय जनगणना के मुद्दे पर आधे घंटे से भी अधिक अकेले में मुलाकात की थी. ऐसे तो इफ्तार पार्टी के बाद से ही दोनों का बॉडी लैंग्वेज बदलने लगा था. लेकिन इस बैठक के बाद दोनों तरफ से हमला नहीं हो रहा है. यही नहीं विपक्ष में रहते हुए भी राजद ने आईएमआईएम के 5 में से 4 विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में मिला लिया. आमतौर पर सत्ता पक्ष में विधायक शामिल होते हैं और कहा जाता है. कहीं ना कहीं इसमें जदयू ने मदद की है.
RJD विधानसभा में बनी सबसे बड़ी पार्टी :राजद को विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने में कुल मिलाकर देखे तो जदयू ने भी पूरा साथ राजद को दिया है. कई मुद्दों पर जदयू का बीजेपी से अब खुलकर विरोध दिखने लगा है तो वहीं कई मुद्दों पर आरजेडी से नजदीकियां बनी है. तेजस्वी यादव का हमला नहीं करना यह भी एक बड़ा संकेत है. राजनीति में कब उलटफेर हो जाए इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है और विधानसभा में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. अगर महागठबंधन खेमे की बात करें तो सरकार बनाने से केवल 6 विधायक की ही कमी है. ऐसे में हालांकि जदयू और आरजेडी दोनों खेमा इस बात से इंकार कर रहा है कि नजदीकियां बढ़ी है.