पटना:बिहार में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा विषय रहा है और चुनाव में रोजगार (Employment) को एक बड़ा मुद्दा भी बनाया जाता है. साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भी रोजगार एक बहुत बड़ा मुद्दा था और सत्ताधारी दल 19 लाख रोजगार देने के मुद्दे पर ही सत्ता में आई. चुनाव से पहले विभिन्न विभागों में कई पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई, लेकिन धीरे-धीरे अब इन वैकेंसी को बहाली की पूरी प्रक्रिया होने के बाद रद्द किया जा रहा है, जिससे अभ्यर्थियों में नाराजगी बढ़ गई है.
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युवा अब सरकार के इस रवैये से आक्रोशित हो रहे हैं. हाल ही में 2 दिन पहले सरकार ने सिटी मैनेजर के 163 पदों पर बहाली को रद्द कर दिया है. मार्च-अप्रैल के समय 2020 में यह वैकेंसी निकली थी और इसके लिए 3 दिसंबर को लिखित परीक्षा आयोजित की गई. रिजल्ट भी जारी हुआ और सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन का भी काम पूरा करा लिया गया, लेकिन अब यह वैकेंसी रद्द कर दी गई है.
रविवार को पटना के गांधी मैदान में सिटी मैनेजर के लिए चयनित हुए कई अभ्यर्थी पहुंचे और ईटीवी भारत से कहा कि उन्होंने बाहर प्राइवेट कंपनियों की नौकरी छोड़ कर वहां से एनओसी लेकर यहां प्रदेश में सिटी मैनेजर की पोस्ट पर ज्वॉइनिंग करने के लिए पहुंचे, क्योंकि वह मेरिट लिस्ट में आ चुके थे और अब जब यह बहाली रद्द की गई है तो अब वह ना घर के रहे हैं, ना घाट के.
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''2020 में शहरी विकास विभाग की तरफ से सिटी मैनेजर की 163 पदों पर वैकेंसी निकाली गई थी. इसके लिए मैंने अपने पैसे खर्च कर आवेदन किए. मेरिट लिस्ट में भी आए, लेकिन अब 2 दिन पहले इस बहाली की पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया, जिससे हम काफी निराश हैं. सरकार से अपील करते हैं कि वो हम लोगों पर ध्यान दें और मेरिट लिस्ट में जब हमने क्वालीफाई किया है तो इस प्रकार नाइंसाफी ना की जाए. सरकार की तरफ से कोई वैलिड रीजन भी नहीं बताया जा रहा है कि यह बहाली रद्द क्यों की गई है.''-चंदन कुमार, अभ्यर्थी
''सिटी मैनेजर की पोस्ट पर जो वैकेंसी निकाली गई थी उसमें एमबीए की डिग्री होना अहर्ता थी. काफी संख्या में छात्र जो बाहर अच्छी कंपनियों में काम कर रहे थे वह प्रदेश में सरकारी नौकरी की लालसा से इसके लिए फॉर्म भरा और परीक्षा के लिए जमकर तैयारी की. परीक्षा में जब वह पास हुए और मेरिट लिस्ट में उनका नाम आया तो वह बाहर अपने कंपनियों से एनओसी लेकर आ गए. नगर विकास विभाग में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम भी पूरा हो गया और सभी को ज्वॉइनिंग का इंतजार था. ज्वॉइनिंग का इंतजार 8 महीने से खींचा चला जा रहा था और अब अचानक यहां पूरी बहाली रद्द कर दी गई है, जिससे उन लोगों को दोहरी क्षति पहुंची है.''-अजय कुमार, अभ्यर्थी
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''बिहार सरकार की यह रवायत बन गई है कि वैकेंसी निकालना और वैकेंसी को लेकर परीक्षा कंडक्ट कराना और उसके बाद फिर उस वैकेंसी को रद्द कर देना. फॉर्म भरने के लिए एक तरफ छात्रों का काफी पैसा लगा है, दूसरा उन्होंने परीक्षा के लिए जमकर तैयारी की है और परीक्षा पास भी किए हैं ऐसे में जब वैकेंसी रद्द की जाती है तो इन स्थितियों में मेरिट लिस्ट में पास हुए अभ्यर्थियों को सरकार की तरफ से क्षतिपूर्ति दिया जाना चाहिए. अभ्यर्थियों की समय की बर्बादी भी हो जाती है, क्योंकि बहाली कैंसिल हो जाती है.''-दिलीप कुमार, छात्र नेता
उन्होंने कहा कि सरकार को यह सोचना चाहिए कि अगर विधानसभा चुनाव हो और चुनाव बेहतर तरीके से संपन्न हो जाए. जिसके बाद काउंटिंग के दिन पूरी काउंटिंग की प्रक्रिया होने के ठीक बाद चुनाव को अगर रद्द किया जाए तो कैसा गुजरेगा. यही स्थिति प्रदेश के युवाओं की हो गई है. मुख्यमंत्री के संज्ञान में ही कोई वैकेंसी निकाली जाती है और उन्हीं के संज्ञान में वैकेंसी को रद्द कर दिया जाता है, ऐसे में युवाओं के बर्बाद हो रहे भविष्य के लिए सीधे तौर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं.
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''मैं 2020 में प्रदेश से बाहर एक अच्छी कंपनी में बतौर मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा था और जब यह बहाली आई तो मैंने कुछ दिनों की छुट्टी लेकर परीक्षा की तैयारी की और परीक्षा की मेरिट लिस्ट में जब उनका नाम आ गया तो मैंने कंपनी से जाकर एनओसी ले लिया. प्रदेश में यहां डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का भी काम हो पूरा हो गया और ज्वॉइनिंग लेटर का इंतजार था. इसी बीच अब यह बहाली रद्द कर दी गई है तो ऐसे में एक तो इस नौकरी के चक्कर में उनकी नौकरी पहले से चली गई और दूसरा यह नौकरी भी चले गई. उम्र बढ़ रही है और घर वालों का दबाव बढ़ता जा रहा है और मैं बहुत अधिक मानसिक तनाव में हूं.''- गौतम कुमार, अभ्यर्थी