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दो बंगलों से बेदखल मोदी के 'हनुमान' के तल्ख तेवर, वैकल्पिक राजनीति की राह पर चिराग

मोदी के हनुमान चिराग पासवान से उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले को खाली करा लिया गया. पार्टी के बंगले से हाथ धोने के बाद अब चिराग अपने दूसरे बंगले से भी बेदखल हो चुके हैं. जिसके बाद चिराग पासवान का गुस्सा सातवें आसमान पर है. चिराग पासवान की राजनीति बीजेपी से इतर होती दिख रही है. यही कारण है कि चिराग पासवान ने अपनी रणनीतियों में भी बदलाव किया (Chirag Paswan mood to revolt against Narendra Modi) है. पढ़ें पूरी खबर..

मोदी के हनुमान चिराग पासवान
मोदी के हनुमान चिराग पासवान

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Published : Apr 4, 2022, 8:09 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने जेडीयू से अदावत की. चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ तमाम सीटों पर उम्मीदवार दिए. नतीजा यह हुआ कि चिराग की वजह से जेडीयू को कई सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है और पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई. नीतीश कुमार ने भी चिराग से बदला लेने में देरी नहीं की. एक साल नहीं बीते कि नीतीश कुमार ने परिवार में ही सेंधमारी कर दी और चिराग को बंगले से बेदखल होना पड़ा. नीतीश कुमार की मदद से पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए और लोजपा दो फाड़ हो गई.

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चिराग सियासत को नहीं दे पाए दिशा:लोजपाआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) परिवार में दो फाड़ से खुद को संभाल भी नहीं पाए थे कि उनको एक और झटका लग गया. चिराग पासवान को स्वर्गीय रामविलास पासवान की निशानी से भी बेदखल होना पड़ा. प्रशासन ने सरकारी बंगले को खाली करा दिया. दरअसल, चिराग पासवान अपनी सियासत को दिशा नहीं दे पा रहे थे और खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बता रहे थे, बंगले से बेदखल होने के बाद चिराग पासवान ने रणनीतियों में बदलाव किया है. वैशाली में पशुपति पारस के उम्मीदवार का विरोध करने के लिए चिराग ने राजद उम्मीदवार के समर्थन का फैसला किया. वैशाली में चिराग पासवान सुबोध राय का समर्थन कर रहे हैं. बोचहां को लेकर चिराग ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं.

सरकारी बंगले से बेदखल हुए चिराग:बता दें कि चिराग पासवान ने मुकेश सहनी के समर्थन में बयान दिया था. मुकेश सहनी को समर्थन करना चिराग को महंगा पड़ा और एक दिन बाद ही उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल (Chirag Evicts from Paswan Bungalow) होना पड़ा. लोजपा रामविलास के नेता अब बीजेपी को लेकर आक्रामक दिख रहे हैं. सरकारी बंगले से जिस तरीके से चिराग पासवान को निकाला गया, उससे लोजपाआर कार्यकर्ता गुस्से में हैं.

''सरकारी बंगला दिवंगत रामविलास पासवान की निशानी थी और देशभर के दलित वहां आश्रय पाते थे. साजिश के तहत बंगला खाली कराया गया ताकि दलितों से उनका आश्रय छिन जाए. वैशाली में हमने राजद उम्मीदवार के समर्थन का फैसला किया और बोचहां में पार्टी ने स्टैंड अब तक क्लियर नहीं किया है, आने वाले कुछ दिनों में फैसला लिया जाएगा.''-राजेश भट्ट, प्रवक्ता, एलजेपीआर

BJP नेताओं के तेवर नरम: लोजपा रामविलास (LJP Ramvilas) के तेवर में तल्खी के बावजूद बीजेपी (BJP) नेताओं के तेवर नरम हैं. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा (BJP spokesperson Vinod Sharma) ने कहा कि चिराग पासवान को अभी नाराज होने की जरूरत नहीं है. उनका लंबा राजनीतिक कैरियर है और बीजेपी उनका ख्याल रखेगी. उन्हें संयम बनाकर रखना चाहिए.

''चिराग एक अच्छे युवा नेता हैं और उन्हें कोई भी निर्णय सोच समझकर लेना चाहिए. क्योंकि उनके पास अभी काफी समय है. जल्दी बाजी में लिया गया निर्णय उचित नहीं होता है. हम लोग मानते हैं कि मोदी जी के प्रति उनकी श्रद्धा बनी रहनी चाहिए. आगे समय बदलेगा और परिस्थितियां बदलेगी तो सब लोग उनको अपने साथ लेंगे, फिर वहीं बात रहेगी. बंगला खाली करवाना एक सामान्य प्रक्रिया है. जिसका नोटिस भी उनको बार-बार दिया जा रहा था.''-विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

चिराग का BJP से मोहभंग!:राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि चिराग पासवान अब फैसला लेने के मूड में दिख रहे हैं. राजद उम्मीदवार को समर्थन देकर उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट भी किए हैं. खुद को मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग का बीजेपी से मोहभंग होता दिख रहा है, आने वाले दिनों में अगर वो राजद खेमे में चले जाएं तो आश्चर्य की बात नहीं है.

''कहीं ना कहीं चिराग को लगा कि जिस बीजेपी पर हम एक तरफा प्यार दिखाए चले जा रहे हैं, एक तरफा समर्पण दिखाए जा रहे हैं, हम अपने को हुनमान कह रहे हैं और बीजेपी लगातार हमसे दूरी बनाती चली जा रही है. ठीक है कि कहीं कुछ गठबंधन की मजबूरियां भी रही होगी. इस वजह से बीजेपी ने दूरी बनाई वहां तक तो ठीक था लेकिन बंगला खाली करवाने में तो बीजेपी की कोई मजबूरी नहीं रही होगी. इसलिए बंगला खाली करवाने के बाद चिराग के तेवर बदल गए हैं.''-डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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