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भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के आवास पर हो रहा छठ महापर्व

पूरा बिहार छठ मय है. आज अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाना है. इसकी तैयारी जोरशोर से की जा रही है. आम से लेकर खास लोगों के घरों पर छठ पूजा होता है. मंत्री अशोक चौधरी के आवास पर छठ पर्व हो रहा है.

Chhath Puja 2021
Chhath Puja 2021

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Published : Nov 10, 2021, 2:15 PM IST

पटना: पूरा बिहार छठमय हो चुका है. आम से खास सभी के घर में छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) का आयोजन होता है. मुख्यमंत्री आवास में भी हो रहा है. वही, कई मंत्रियों के आवास पर भी छठ का आयोजन किया गया है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Choudhary) के सरकारी आवास पर कई सालों से छठ हो रहा है. अशोक चौधरी की पत्नी इस बार भी छठ कर रही हैं. अशोक चौधरी का पूरा परिवार छठ की तैयारी में लगा है. शाम के अर्घ्य के लिए ठेकुआ और अन्य पकवान तैयार किए जा रहे हैं.

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छठ पूजा पर छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए ठेकुआ का प्रसाद चढ़ाया जाता है. फिर यही प्रसाद सभी लोगों को बांटा जाता है. ठेकुआ प्रसाद के बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है. भगवान भास्कर को फलों के अलावा शुद्ध घी से बने ठेकुआ के साथ अर्घ्य दिया जाता है. मंत्री अशोक चौधरी के यहां ठेकुआ बनाने का कार्य घर की महिलाओं कर रही हैं.

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आज अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य (First Arghya Of Chhath Puja) दिया जाना है. छठ महापर्व (Chhath Puja 2021 In Bihar) में संध्याकालीन अर्घ्य की विशेष महत्ता है. माना जाता है कि सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है.

मान्यताओं के अनुसार प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से इसका लाभ भी अधिक मिलता है. मान्यता यह है कि संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन , वैभव की प्राप्ति होती है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है.

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संध्या को अर्घ्य देने के लिए छठव्रती पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते व्रती दंडवत करते जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं. दंडवत करने के दौरान आस पास मौजूद लोग छठव्रती को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, ताकि उन्हें भी पूण्य की प्राप्ति हो सके.

संध्या अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरी को ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों से सजाया जाता है. पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं. लोटे (कलश) में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं. रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है.

इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करने से व्रती को इसका लाभ मिलता है. सूर्य षष्ठी के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान करके हल्के लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. एक तांबे की प्लेट में गुड़ और गेहूं रखकर अपने घर के मंदिर में रखने से भी पूरे परिवार को इसका लाभ मिलता है. माना जाता है कि लाल आसन पर बैठकर तांबे के दीये में घी का दीपक जलाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. भगवान सूर्य नारायण के सूर्याष्टक का 3 या 5 बार पाठ करना फलदायी होता है.

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