पटना :एक पुरानी कहावत है.. 'बहुत कठिन है राह पनघट की'. राजनीति में भी कई बार नेताओं के लिए राह कठिन हो जाती है. कुछ ऐसा ही हाल है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का. नीतीश कुमार ने बिहार में एनडीए से नाता तोड़कर महगठबंधन की सरकार बनायी. तभी से लोगों की जुबां पर आ गया, नीतीश पीएम का ख्वाब देख रहे हैं. हालांकि वह कई बार इससे मुकरते दिखाई पड़ रहे हैं.
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नीतीश कुमार विपक्ष को गोलबंद कर पाएंगे? : वैसे नीतीश कुमार विपक्षी एकता पर जोर देने में लगे हैं. लेकिन यह काम आसान नहीं है. ऐसा लग रहा है जैसे दांतों तले लोहे के चने को चबाना है. कांग्रेस किसी कीमत पर दूसरे दल के नेता को पीएम कैंडिडेट मानने को तैयार नहीं है. वहीं केसीआर गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस की राह पर है. ऐसे में नीतीश गोलबंद कर पाएंगे कि नहीं इसपर सबकी निगाह है.
विपक्षी एकजुटता में नीतीश कुमार के लिए हैं कई चुनौतियां :-
1. पीएम पद का चेहरा कौन होगा. विपक्ष में कई दावेदार हैं.
2. बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के साथ मोर्चा बने या कांग्रेस के बिना मोर्चा बने इस पर कई दलों की अलग राय है.
3. कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी और को पीएम पद के लिए स्वीकार करेगी इसकी संभावना कम है.
4. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, टीएमसी और वामपंथी दल को एक साथ लाने की बड़ी चुनौती है.
5. विपक्षी एकजुटता के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की चर्चा हो रही है. इसके लिए कितने दल तैयार होंगे यह भी देखना होगा.
6. नीतीश कुमार के नेतृत्व में भले ही बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है लेकिन दूसरे राज्यों में यही स्थिति बनेगी इसकी संभावना कम है.
दिल्ली दौरे पर नीतीश : दरअसल, जदयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ है कि केसीआर को कांग्रेस के साथ बनने वाले गठबंधन में आना होगा. जबकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री कांग्रेस और बीजेपी के विरोध में गठबंधन बनाने की बात कर रहे हैं. विपक्षी एकजुटता का पेंच यहीं से फंसना शुरू हो गया है. नीतीश कुमार 3 दिन दिल्ली में रहेंगे. कांग्रेस के राहुल गांधी, वामदल के नेताओं, हरियाणा बंगाल सहित कई राज्यों के नेताओं से उनकी मुलाकात होगी. शरद पवार से भी मुलाकात हो सकती है. लेकिन कांग्रेस को लेकर कई दल सहमत नहीं है. ऐसे में विपक्षी एकजुटता नीतीश कुमार के लिए शुरुआत में ही चुनौती बनती दिख रही है.