पटना:चारा घोटाले (Doranda Fodder Scam) में अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी थी. मामले की जांच में कई ऐसे खुलासे हुए कि लोग दंग रहे गये. फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया. यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर थे. सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था. ऐसे कई अन्य खुलासे हुए थे.
अब आपको इससे संबंधित एक और किस्सा बताते हैं. अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाला के दर्जनों मामले उजागर होने के बाद लालू यादव की मुश्किलें बढ़ने लगीं थी. सत्ता से हटने के महज 5 दिन बाद ही लालू प्रसाद को सरेंडर कर पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना (Lalu Yadav arrest in fodder scam) पड़ा था. इससे पहले लालू प्रसाद के अड़ियल रवैये को देखते हुए सीबीआई की ओर से सेना की मदद की मांग करनी पड़ी थी. चारा घोटाले में वारंट जारी होने के बाद लालू यादव भले ही पद छोड़ चुके थे लेकिन वे जेल जाने को तैयार नहीं थे. दूसरी ओर बिहार पुलिस भी उनकी गिरफ्तारी की कोशिश से बच रही थी.
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इसी बीच सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास (Joint Director of CBI UN Biswas) ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना तक की मदद मांग ली. हालांकि सेना की ओर से तत्काल मदद से इनकार कर दिया गया. हालांकि दबाव में आकर 30 जुलाई 1997 को लालू यादव ने अदालत में सरेंडर कर दिया था और टकराव टल गया. चारा घोटाले में पहली बार 134 दिन तक जेल में रहने के बाद 11 दिसंबर 1997 को लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आये थे.