पटना:राजधानी पटना में कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (Cardiological Society of India) की ओर से 28वां एनुअल कॉन्फ्रेंस कार्डिकॉन 2022 का आयोजन आगामी 13 और 14 अगस्त को पटना में होने जा रहा है. इस संबंध में कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ बिहार की ओर से गुरुवार को पटना में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया और इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई. जिसमें पीएमसीएच आईजीआईएमएस, एनएमसीएच जैसे तमाम संस्थानों के हृदय रोग विशेषज्ञ मौजूद रहे. इस सम्मेलन में 500 से अधिक देश भर से वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ शामिल हुए जो हृदय रोग किस क्षेत्र में नई चुनौतियों और नई इलाज पद्धति के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे.
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कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का सम्मेलन :मिली जानकारी के अनुसार इंदिरा गांधी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ एके झा ने कहा कि- 'कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर की ओर से पटना के होटल मौर्या में आगामी 13 और 14 अगस्त को कार्डिकॉन सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है. जिसमें देश भर से 500 से अधिक ह्रदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल होंगे. जिसमें सर्जन, फिजीशियन सभी शामिल होंगे और ह्रदय रोग के क्षेत्र में अब तक के अपने केसेज जुड़े अनुभवों को साझा करेंगे. रिसर्च पेपर भी पब्लिक किया जाएगा ताकि इस प्रकार आधुनिक तरीके से मरीज को अधिक सुविधा देते हुए गंभीर से गंभीर बीमारियों का सरलता से इलाज किया जा सके. आज के समय में हृदय रोग महामारी का रूप लेती जा रहा है और इसे कैसे रोका जाए, लोगों को कैसे इसके प्रति जागरूक किया जाए, इन सब विषयों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी.'
'शहरी क्षेत्र में लोगों में हृदय रोग के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. वायु प्रदूषण इसका एक बड़ा प्रमुख कारण है. तनाव भरी जीवनशैली भी एक प्रमुख वजह है और पिछले 2 वर्षों में 500 से अधिक मामलों का अध्ययन किया है. जिसमें यह पता चला है कि 20 से 40 वर्ष की आयु वाले ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों में से अधिकांश में धूम्रपान की लत से ग्रसित थे. ऐसे में हृदय रोग के क्षेत्र में रोग ही नई चुनौतियां आ रही है और इससे कैसे निपटा जा सकता है. क्या कुछ नई और अत्याधुनिक तकनीक आई है, इन सभी पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, जूनियर डॉक्टर्स अपना रिसर्च पेपर सबमिट करेंगे. और यह सम्मेलन काफी लाभदायक होने जा रहा है, क्योंकि पूरे देश से वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ इस सम्मेलन में जुड़ेंगे.'- डॉक्टर उपेंद्र नारायण सिंह, कंसलटेंट चिकित्सक, कार्डियोलॉजी विभाग, पीएमसीएच
नवजात बच्चों के दिल में छेद की समस्या :पटना एम्स के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि बिहार में दिल में छेद की समस्या के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या काफी रहती है, यह लगभग 15 फीसदी होती है. इसके कई इलाज आ चुके हैं और कई मामलों में दवाइयों से ठीक हो सकता है. तो कई मामले में छोटी-बड़ी सर्जरी भी करने की आवश्यकता पड़ती है. नवजात बच्चे दिल में छेद की समस्या के साथ जो जन्म लेते हैं, उनके कई कारण हैं. जैसे कि गर्भावस्था के तीसरे, चौथे महीने में यदि मां गंभीर रूप से बीमार पड़ती हैं, इसके अलावे यदि बच्चों के शरीर का ग्रोथ गर्भ में ठीक से नहीं हो पाता है. तो यह भी एक कारण है. नवजात बच्ची में इस प्रकार की समस्या ना हो इसके लिए गर्भावस्था में क्या कुछ करने की आवश्यकता है. और कैसे ध्यान रखना है. इस बारे में भी सम्मेलन के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा. दिल में छेद की समस्या वाले बच्चों के इलाज के लिए बिहार में भी नई तकनीक आ रही है. बिहार में भी अब उन बच्चों का इलाज संभव होने लगा है. ऐसे बच्चों को 5 साल तक की आयु में सर्जरी कर छेद को भरने की आवश्यकता पड़ती है.