पटना: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार के कई विभागों पर अनुदान की राशि खर्च नहीं करने और आवंटित मूल बजट के बाबजूद अनुदान राशि देने पर सवाल उठाए हैं. सीएजी की इस रिपोर्ट का मतलब है कि कई योजनाओं पर काम हुआ ही नहीं या फिर जो योजनाएं चल रही है उनकी गति बेहद धीमी है.
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट सीएजी ने विधानमंडल में 2017-18 को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की है उसमें 17 विभागों ने अनुदान की राशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है, इन विभागों ने औसतन महज 42 फीसदी राशि ही खर्च की है.
विभाग | खर्च हुई राशि का फीसदी |
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- खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
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- उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
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- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
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- गन्ना विभाग विभाग प्रतिशत
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रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 तक का आंकड़ा
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 जो आंकड़ा दिया है उसमें साफ दिख रहा है कि 17 विभागों ने वार्षिक अनुदान की राशि कभी पूरी खर्च नहीं की. रिपोर्ट के अनुसार 2017- 18 के दौरान 16 हजार 320 करोड़ का अनुपूरक अनुदान प्रकरणों में अनावश्यक सिद्ध हुआ, क्योंकि वर्ष के अंत में मूल प्रावधान के विरोध ही यह बचत हुई है. इसके बावजूद विभागों ने अनुपूरक अनुदान लिया.
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट अनुदान राशि दिए जाने पर भी खड़े किए सवाल
रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग को 2 हजार 615 करोड़ मूल राशि के बावजूद 191 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि वास्तविक खर्च महज 1 हजार 655 करोड़ ही हुआ. पंचायती राज में 8 हजार 694 करोड़ के मूल बजट के बावजूद 454 करोड़ आवंटित हुए जबकि 8 हजार 541 करोड़ ही खर्च हुए. वहीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में 1हजार 642 के बावजूद 778 करोड़ अनुपूरक बजट के तहत दिए गए जबकि वास्तविक खर्च 1 हजार 211 करोड़ ही हुआ. कैग ने अनुदान राशि दिए जाने पर सवाल खड़े किए है. क्योंकि विभागों को जो मूल बजट आवंटित किए गए वे उसे भी खर्च नहीं कर पाए