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जात-जमात और विकास की बात, बिहार चुनाव में सुशांत, CAA-NRC और धारा 370 पर नहीं हो रही चर्चा - बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत

बिहार चुनाव से पहले सीएए और एनआरसी बड़े मुद्दे थे. इसके अलावा मुंबई में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर भी सवाल उठ रहे थे, लेकिन बिहार चुनाव में ये मुद्दा नहीं बन सका है. बिहार चुनाव में विकास के अलावा जात और जमात की बात हो रही है.

CAA-NRC and Section 370 in bihar election
नीतीश, तेजस्वी, सुशांत

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Published : Oct 15, 2020, 7:54 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कई ऐसे मुद्दे है, जिस पर कोई चर्चा ही नहीं कर रहा है. यूं कहें तो इन मुद्दों पर कोई बात ही नहीं करना चाहता है. एनडीए जहां केंद्र सरकार की उपलब्धियों और नीतीश कुमार के विकास कार्य के रिपोर्ट कार्ड को लेकर चुनाव में उतरी है तो, वहीं महागठबंधन बिहार चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को उछाल रही है.

दरअसल, लोकतंत्र का पर्व शुरू होने से पहले कयास लगाया जा रहा था, बिहार विधानसभा चुनाव में राम मंदिर, धारा 370, सीएए, एनआरसी, सुशांत सिंह राजपूत, हिन्दू-मुस्लिम, जनसंख्या नियंत्रण कानून जैसे मुद्दे उछाले जाएंगे लेकिन अब तक ये सभी मुद्दे गौण हैं. हर कोई विकास और बेरोजगारी की बात कर रहा है.

बेरोजगारी और विकास बना मुद्दा

एक तरफ एनडीए बिहार में लगाए गए बड़े-बड़े पोस्टर्स में मोदी और नीतीश की उपलब्धियों का जिक्र किया गया है, तो वहीं आरजेडी के पोस्टर्स में सिर्फ तेजस्वी दिख रहे हैं. पहले आरजेडी के पोस्टर्स से लालू-राबड़ी गायब हैं. तेजस्वी का कहना है कि अगर बिहार में आरजेडी की सरकार बनती है तो पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा.

जात और जमात की सियासत

भले ही राजनीतिक दल कह रहे हैं कि बेरोजगारी और विकास ही चुनाव में मुद्दा रहेगा. लेकिन बिहार की सियासत जाति के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियों ने जात के आधार पर सियासी बिसात बिछाई है. सभी पार्टियां जात और जमात की राजनीति कर रही हैं.

युवाओं के मन डोला पाएंगे राजनीतिक दल

बिहार की आबादी 12 करोड़ से अधिक है. इनमें 58 फीसदी आबादी युवाओं की है, जो राष्ट्रीय औसत 50 फीसदी से अधिक है. यही कारण है कि 2019 आम चुनाव में पीएम मोदी ने कहा था कि बिहार की जवानी और पानी में इतना दम है कि कुछ भी कर सकता है.

माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में लगभग 30 लाख ऐसे युवा हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे. इसके अलावा बिहार में 18 से 40 साल तक के उम्र वाले मतदाताओं की संख्या करीब ढाई करोड़ के आसपास है. यानी की कुल मतदाताओं के एक तीहाई. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 79 लाख की है. यही कारण है कि तमाम राजनीतिक दल ढाई करोड़ के युवा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर के सियासी दांवपेच अजमा रहे हैं.

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