पटनाःबीपीएससी 67वीं पीटी के प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. 45 दिन बीत जाने के बावजूद भी अब तक इस मामले का खुलासा पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है. अब तक इस मामले मेंमुख्य आरोपी पिंटू यादव को अभी तक आर्थिक अपराध इकाई नहीं गिरफ्तार कर पाई है (Main Kingpin is Away from EOU After Passing 45 Days) और ना ही उस मोबाइल नंबर को ट्रेस कर पाई है जिस नंबर से सबसे पहले प्रश्न पत्र को सर्कुलेट किया गया था. कुल मिलाकर ईओयू अभी तक किंग को पकड़ने में विफल है. हालांकि आर्थिक अपराध इकाई द्वारा गठित एसआईटी की टीम सॉल्वर गैंग के सरगना पिंटू यादव की तलाश में कई जगह छापेमारी कर रही है. इसी क्रम में दरभंगा में दो संदिग्ध युवकों से पूछताछ की गयी थी. इससे पहले सचिवालय सहायक राजेश कुमार और सुधीर कुमार सिंह को तीन दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ की गयी थी. परंतु अब तक 45 दिन के बावजूद भी पुलिस इस पूरे मामले का खुलासा नहीं कर पाई है.
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45 दिन बाद भी मास्टरमाइंड पुलिस गिरफ्त से बाहर: आपको बता दें कि 8 मई को बिहार में पहली बार बीपीएससी पेपर लीक मामले का खुलासा हुआ था. हालांकि इस मामले में एक दर्जन लोगों की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो पाई है. लेकिन सवाल यह उठता है कि बिहार की नोडल एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई को बिहार पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे मामले की छानबीन का जिम्मा दिया था. लेकिन जिस तरह से अब तक इस पूरे मामले का मुख्य सरगना पिंटू यादव की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. बिहार पुलिस की एसआईटी और आर्थिक अपराध इकाई की ओर से उस मोबाइल नंबर को ट्रेस नहीं किया जा सका है, जिससे सबसे पहले प्रश्न पत्र को सर्कुलर किया गया था. इस वजह से आर्थिक अपराध इकाई के कामकाज पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्या यह माना जाए कि आर्थिक अपराध इकाई की जो मिशनरी है, वह पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. तभी तो 45 दिन बीत जाने के बावजूद भी एक नंबर को ट्रेस करने में इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है. हालांकि इस मामले में बिहार पुलिस मुख्यालय और ना ही आर्थिक अपराध इकाई की कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार है. पुलिस मुख्यालय के अधिकारी की मानें तो जल्द ही इस पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा.
"बीपीएससी पेपर लीक मामले में कुछ सफेदपोश ओं की मिलीभगत है जिस वजह से इस पूरे मामले को डाइवर्ट किया जा रहा है. अब तक इस पूरे मामले में सिर्फ छोटी मछलियों की की गिरफ्तारी हो पाई है. एक भी बड़ी मछली के गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके इशारों पर ही आर्थिक अपराध इकाई काम कर रही है. इसकी सही से जांच की जाए तो बिहार सरकार के कुछ अधिकारी और कुछ सफेदपोश की भी संलिप्तता सामने आएगी. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के एक बड़े आईएएस अधिकारी की भी संलिप्तता सामने आई थी. उनसे पूछताछ भी की गई थी परंतु अब तक इस मामले से उनके से जुड़े क्या कुछ साक्ष्य मिला है. इस बात की भी पुष्टि आर्थिक अपराध इकाई द्वारा नहीं की गई है और ना ही उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित हो पाई है."-अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी