पटना: जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर देश भर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई राजनीतिक दल इसपर सरकार के साथ हैं तो कुछ सरकार के खिलाफ. हालांकि बीजेपी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है.
'कश्मीर अब मुख्यधारा से जुड़ा'
भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष तुफैल कादरी ने कहा कि कश्मीर अब मुख्यधारा में जुड़ गया है. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को केंद्र सरकार ने सच कर दिखाया है. अब कश्मीर की तरक्की भी सुनिश्चित है. बीजेपी महिला कार्यकर्ता ने कहा कि केंद्र के फैसले से पूरे देश में खुशी की लहर है.
सरकार का ऐतिहासिक फैसला
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला लिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सदन सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प पेश किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे, सिर्फ एक खंड लागू होगा. इसके साथ ही आर्टिकल 35A को भी हटा दिया गया है. राष्ट्रपति ने 35A हटाने की मंजूरी भी दे दी है.
'जम्मू-कश्मीर का दो भागों में बंटवारा'
गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी सदन में पेश किया. जम्मू-कश्मीर का दो भागों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया है. जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश होगा. लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्रशासित प्रदेश होगा. केंद्र सरकार ने 1954 के कानून में कई संशोधन किए हैं. विपक्षी दलों की तरफ से समाजवादी पार्टी और बसपा अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थन में हैं. वहीं कांग्रेस, पीडीपी और टीएमसी इसके विरोध में हैं. सहयोगी शिवसेना ने समर्थन किया है, वहीं जेडीयू ने असहमति जताई है.
क्या है आर्टिकल 35A?
- 14 मई 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 35A लागू किया
- जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35A, धारा 370 का हिस्सा है
- राष्ट्रपति से पास होने के बाद आर्टिकल 35A को संविधान में जोड़ दिया गया
- इसके तहत जम्मू कश्मीर में बाहरी राज्यों के लोग संपत्ति नहीं खरीद सकते
- 14 मई 1954 को राज्य में रहने वाले लोग ही वहां के नागरिक माने गए. साथ ही 1954 से 10 साल पहले से रहने वाले लोगों को नागरिक माना गया.
- आर्टिकल के तहत जम्मू कश्मीर की लड़की के बाहरी से शादी करने पर राज्य की नागरिकता से जुड़े अधिकार खत्म हो जाते हैं. शादी करने पर लड़की के बच्चों के भी जम्मू-कश्मीर में अधिकार नहीं माने जाते
धारा 370 पर विवाद क्यों है?
- धारा 370 से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, उनका झंडा भी अलग
- जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं
- देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं
- जम्मू-कश्मीर को लेकर देश की संसद सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है
- रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते
- केंद्र का कानून लागू करने के लिये जम्मू कश्मीर विधानसभा से सहमति जरूरी
- वित्तीय आपातकाल के लिये संविधान की धारा 360 J&K पर लागू नहीं
- धारा 356 राज्य में लागू नहीं होता, राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते.
- हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण नहीं मिलता
- जम्मू-कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है.
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI और RTE लागू नहीं होता. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष होता है.
धारा 370 हटने से क्या बदलाव
पहले | अब |
जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा था. नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना नहीं था. | जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं बल्कि भारत के दूसरे हिस्सों की तरह यहां भी तिरंगा ही लहराया जाएगा. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का सम्मान करना होगा. |
वोट का अधिकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को था. दूसरे राज्यों के नागरिक को वहां की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने का अधिकार नहीं था. | दूसरे राज्यों के नागरिक भी अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और वोट कर सकते है. धारा 370 समाप्त किए जाने के साथ ही सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को वोट का अधिकार वाला प्रावधान खत्म हो गया है. |
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था |