पटना: झारखंड बंटवारे के बाद से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा (Demand of Special Status) मिले इसे लेकर आवाज उठती रही है. नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर स्पेशल स्टेटस की मांग उठने लगी है. जदयू नेताओं ने स्पेशल स्टेटस को हवा देना शुरू कर दिया है. वहीं भाजपा नेता जदयू की मांग को खारिज कर रहे हैं. वहां जनता दरबार के बाद सीएम नीतीश कुमार ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग (Nitish Kumar on Special Status) कर दी है.
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स्पेशल स्टेटस को जदयू ने आंदोलन का रूप दिया था. नीतीश कुमार ने चरणबद्ध तरीके से स्पेशल स्टेटस को लेकर आंदोलन भी चलाया. लेकिन केंद्र में एनडीए की सरकार गठित होने के बाद जदयू के तेवर नरम पड़ गए. लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से स्पेशल स्टेटस की मांग जोर पकड़ने लगी है. ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग को पत्र भी लिखा है.
आपको बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog Report) को शुरुआती दौर में जदयू के कई मंत्रियों ने खारिज किया था. नीतीश कुमार ने भी रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन अब उसी नीति आयोग को जदयू नेता पत्र लिख रहे हैं.
स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर कैबिनेट के कई मंत्री पल्ला झाड़ चुके हैं. भाजपा कोटे के मंत्री या नेताओं का कहना है कि केंद्र की सरकार ने बिहार को स्पेशल स्टेटस से ज्यादा दिया. स्पेशल पैकेज के जरिए ही बिहार का विकास हो सकता है. उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने भी कहा कि बिहार को स्पेशल स्टेटस के बजाय स्पेशल पैकेज की जरूरत है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्पेशल स्टेटस में बिहार को क्या मिलता, जो आज नहीं मिल रहा है. विशेष राज्य का दर्जा कोई मायने नहीं रखता.
''नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार को सबसे पिछड़ा बता दिया गया है, ऐसे में बिहार जब पिछड़ा है तो इसको आगे लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा तो कई तरह की सुविधाएं मिलेगी. केंद्रीय योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 90% और राज्य की हिस्सेदारी 10% हो जाएगी. राज्य के हिस्से की राशि बचेगी तो उससे राज्य में और विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे.''-नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री