पटना: जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर ( Prashant Kishor ) ने एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) के साथ काम करने की मंशा ( Prashant Kishor Desire to Work With Nitish Kumar) जताई है. उन्होंने एक चैनल से बातचीत के दौरान यह बात कही है. पीके के बयान से जहां जदयू गदगद है. वहीं, बीजेपी ने कहा कि ये जदयू और पीके के बीच मामला है. भाजपा से कोई लेना देना नहीं है. वहीं, राजद ने कहा कि जदयू को बताना चाहिए वे किन कारणों से पार्टी छोड़कर गये थे.
बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष (BJP Reaction On PK) मिथिलेश तिवारी ने कहा कि अगर प्रशांत किशोर एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ काम करना चाहते हैं तो ये जदयू का मामला है. इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है. अच्छी बात है कि एनडीए को मदद करना चाहते हैं. भाजपा के साथ जब कोई मामला आएगा, तब हम लोग उसे देखेंगे.
'चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर किन कारणों से जदयू छोड़ कर गए थे. अब वे फिर जदयू में आना चाहते हैं. यह तो वही बेहतर बता सकते हैं या फिर जदयू वाले. लेकिन जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने जदयू को छोड़ा था. क्या वे मुद्दे खत्म हो गये हैं, ये भी बताना चाहिए.':- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
दरअसल, एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए जब प्रशांत किशोर से ये पूछा गया कि देश में सबसे बेहतर नेता कौन हैं, तो इस सवाल का जवाब उन्होंने नहीं दिया. लेकिन जब कुछ नेताओं का विकल्प उन्हें दिया गया तो इनमें से नीतीश कुमार के साथ काम करने की उन्होंने इच्छा जताई.
इसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी के साथ अपनी ट्यूनिंग से लेकर कांग्रेस में शामिल होने की खबरों तक पर सीधा जवाब दिया. आगामी लोकसभा चुनाव और विपक्ष की मजबूती पर भी प्रशांत ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि बिना कांग्रेस के सशक्त विपक्ष की संभावना कम है, हालांकि सिर्फ दलों को इकट्ठा करके बीजेपी से जीत नहीं सकते. प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी को हराने के लिए 4 M की जरूरत है. ये चार एम हैं मैसेज, मैसेंजर, मशीनरी और मैकेनिक.
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बता दें कि प्रशांत किशोर पहले भी नीतीश कुमार के खासमखास रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड के वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. पीके को नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा था. हालांकि, पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पीके स्वीकार्य नहीं थे. कहा जाता है कि नीतीश कुमार के कारण लोगों ने कभी मुंह नहीं खोला.
लेकिन सीएए और एनआरसी पर नीतीश कुमार के स्टैंड के खिलाफ जब प्रशांत खुलकर बोलने लगे थे, तो यह समझा जाने लगा था कि अब उनकी छुट्टी तय है. लंबे समय तक चले मतभेद के बाद नीतीश कुमार ने पीके के मसले पर मुंह खोला और कह दिया था कि अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था. इसके बाद उन्होंने कहा था कि 'उन्हें जब तक मन हो रहें, वह दूसरी पार्टी के लिए काम भी करते हैं. अगर रहना चाहें तो भी कोई दिक्कत नहीं, जाना चाहें तो भी हमें कोई खास दिक्कत नहीं है.' इसके बाद से पीके चुनावी रणनीतिकार के तौर पर भी काम करते आ रहे हैं.
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