पटना: मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को पूरा हो रहा है. 24 जुलाई के पहले अगले राष्ट्रपति की ताजपोशी होनी है. ऐसे में नए राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election in India) को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं, इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का नाम भी उछाला जा रहा है. हालांकि उनकी ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि वह रायसीना की रेस में शामिल नहीं हैं. वहीं, अगर अंक गणित की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की राह 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से कहीं ज्यादा मुश्किल हो चुकी है, क्योंकि उसके पास राष्ट्रपति चुनाव बनाने के लिए पर्याप्त वोट नहीं है.
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बीजेपी के लिए राष्ट्रपति चुनाव मुश्किल:दरअसल, 2017 में जब एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद चुने गए थे तो 21 राज्यों में एनडीए की सरकारें थीं. राष्ट्रपति कोविंद 65.65 फीसदी वोट लाकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे और विपक्ष की उम्मीदवार और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार सिर्फ 34.35 फीसदी ही वोट ला पाई थीं लेकिन, 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी संसद में तो पांच साल पहले के मुकाबले ज्यादा ताकतवर है, लेकिन उसकी सिर्फ 17 राज्यों में ही सरकारें रह गई हैं. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्य उसके हाथ से निकल चुके हैं. शिवसेना, टीडीपी और अकाली दल जैसे दल भी एनडीए से बाहर हो चुके हैं. वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी ने तब आरजेडी के साथ होने पर भी प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल होने के नाते राष्ट्रपति कोविंद का समर्थन किया था.
नंबर जुटाना आसान नहीं होगा: इस बार राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोट का मूल्य लगभग 10.9 लाख होगा. इसमें राज्यसभा के 234 और लोकसभा के 539 सांसदों में से प्रत्येक सांसदों के वोट का मूल्य 773 के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा 5,47,284 होगा लेकिन, पांच वर्षों में राज्यों में नुकसान की वजह से अगर सांसदों और विधायकों के वोट मूल्य के हिसाब से तुलना करें तो बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के पास कुल 48.9% निर्वाचक मंडल का ही जुगाड़ बैठता है. ऐसे में अगर सभी विपक्षी दल एकजुट हो जाएं तो उनके निर्वाचक मंडल का ग्राफ 51.1% तक पहुंच जाता है. यानी एनडीए का पलड़ा 2.2% अंकों से हल्का हो रहा है.
संसद के इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए आगे:राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 10.9 लाख वोट अथवा पॉइंट हैं. देश में कुल 773 सांसद हैं, जिनके पास 547284 पॉइंट्स है. प्रत्येक सांसद के वोट का वैल्यू 708 पॉइंट है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में कुल 442 सांसद हैं और इनके कुल मिलाकर 312937 पॉइंट्स हैं. एनडीए के पास 57.2 संसदीय इलेक्टोरल पॉइंट्स हैं. संसदीय इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए को तो बहुमत प्राप्त है लेकिन राज्यों में स्थिति कमजोर दिख रही है.
राज्यों में बीजेपी की ताकत घटी:वहीं, राज्यों में कुल मिलाकर 4033 विधायक हैं, जिनके 546000 पॉइंट्स हैं. 17 राज्यों में बीजेपी की सरकार है लेकिन 9 राज्य ऐसे हैं, जहां के विधायकों के वोटों की वैल्यू 30 पॉइंट से भी कम है. विपक्ष के पास 11 राज्यों में सरकार है लेकिन 8 बड़े राज्य उनके खाते में है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में राज्यों में कुल मिलाकर 220937 पॉइंट्स हैं. एनडीए के साथ 40.43% का समर्थन है. जबकि विपक्ष के पास विधानसभाओं में 324590 पॉइंट हैं. विधानसभा में विपक्ष के साथ 59.57% विधायकों का समर्थन है.
कई खेमों में बंटा है विपक्ष:अगर बात विपक्ष की करें तो सांसदों और विधायकों को मिलाकर कांग्रेस और उसके सहयोगियों, मतलब शिवसेना, मुस्लिम लीग, आरजेडी, डीएमके, एनसीपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 2,38,868 या 21.9% वोट है. वहीं, विपक्ष की दूसरी श्रेणी में टीएमसी, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दल हैं, जिनके पास 19.7% वोट हैं. इसके अलावे विपक्ष की एक और श्रेणी भी है, जो अपने-अपने क्षेत्रीय राजनीति के चलते कांग्रेस से दूर रहता आया है और बीजेपी सरकार का कई बार राज्यसभा में बेड़ा पार करा चुका है. इनमें ओडिशा की बीजेडी, आंध्र प्रदेश की वाईएसआरसीपी और तेलंगाना की टीआरएस हैं. इनके पास भी 9.5% वोट है.