पटना:बिहार की सियासत में अब 'हनुमान' की एंट्री हो चुकी है. जाहिर सी बात है अब हनुमान आएं हैं तो राम की भी बात होगी. क्योंकि एक पखवारे के बाद भी बिहार की सियासत में राम की एंट्री नहीं हुई है लेकिन चिराग ने खुद को हनुमान बताकर साफ कर दिया कि अब राम की भी एंट्री निश्चित है.
दरअसल, शुक्रवार को एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान पर बीजेपी नेताओं ने एक-एक कर कई जुबानी हमले किए. कोई भ्रम फैलाने का आरोप लगाया तो कोई एलजेपी को वोटकटवा पार्टी ही बता दिया. इसके बाद खुद चिराग पासवान सामने आए और बीजेपी नेताओं के आरोपों का जवाब दिया.
बीजेपी के साथ हूं: चिराग
चिराग ने साफ-साफ कहा कि जो लोग भ्रम फैलाने का आरोप लग रहे हैं, उन्हें जान लेना चाहिए कि मैं किसी का बी टीम नहीं हूं. जहां तक भ्रम फैलाने की बात कही जा रही है तो मैं भ्रम नहीं फैला रहा हूं. मैं बीजेपी के साथ था, साथ हूं और साथ रहूंगा. इस बार बिहार में बीजेपी-एलजेपी की सरकार बनने जा रही है.
एलजेपी को वोटकटवा बता रहे वोटकटवा
वहीं, सुशील मोदी द्वारा एलजेपी को वोटकटवा बताने पर चिराग पासवान ने कहा कि कौन क्या कह रहा, क्यों कहा रहा, सबकी मजबूरी समझता हूं. उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी वोटकटवा नहीं है. जहां तक पीएम मोदी की तस्वीर लगाने की बात है तो मैं साफ-साफ बता दूं कि मुझे पीएम मोदी की तस्वीर लगाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैं पीएम मोदी का हनुमान हूं. अगर किसी को विश्वास नहीं है तो वो सीना चीर कर देख सकता है.
अब राम की होगी एंट्री?
चिराग पासवान ने खुद को हनुमान बता कर साफ कर दिया कि बिहार की सियासत में 'राम' मतलब मोदी की एंट्री होने वाली है. पीएम मोदी बिहार में अपनी पहली चुनावी सभा सासाराम में करने वाले हैं, यहां पर बीजेपी छोड़कर एलजेपी के टिकट पर ताल ठोक रहे रामेश्वर चौरसिया चुनावी मैदान में हैं. यानी कि चिराग के 'राम' मोदी रामेश्वर चौरसिया के खिलाफ ही एनडीए के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे और एलजेपी के 'राम' को हराने की बात करेंगे.
'हनुमान' के खिलाफ बोलेंगे 'राम'
अब सवाल उठता है कि पीएम मोदी जब सासाराम में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे तो क्या अपने 'हनुमान' मतलब चिराग के खिलाफ बोलेंगे. क्योंकि जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल चिराग पासवान कर रहे हैं उससे साफ है कि सियासी दंगल में भले ही पीएम मोदी का वो नाम न लें, लेकिन 'हनुमान' शब्द का प्रयोग करेंगे. ऐसे में बीजेपी नेताओं को 'हनुमान' के खिलाफ बोलने से पहले सोचना पड़ेगा क्योंकि हनुमान पर सवाल उठाने का मतलब है राम के खिलाफ जाना, जो राजनीतिक परिदृश्य से कतई सही नहीं है.