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Bihar Weather Update: उमस भरी गर्मी से लोग हलकान, जानें बिहार में कब से होगी मानसून की झमाझम बारिश - bihar me umas bhari garmi

बिहार में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस वृद्धि होने की संभावना है. साथ ही दक्षिण पश्चिम भाग के कुछ हिस्सों में गरज के साथ बारिश होने की भी संभावना है.

aaj ka mausam
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Published : Jun 6, 2021, 8:00 AM IST

पटना: दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल में दस्तक देने के बाद तेजी से आगे बढ़ने का क्रम जारी है. हालांकि बिहार में इसके अब दो-तीन दिन देरी से 15 जून के बाद आने की संभावना है. मानसून की बारिश महाराष्ट्र में शुरू हो गई है. बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में मानसून की सक्रियता काफी बढ़ गई है.

शुष्क रहा मौसम
मौसम वैज्ञानिक अमित सिन्हा ने बताया कि विगत 24 घंटों के दौरान मौसम शुष्क रहा, हालांकि बिहार के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम भाग में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश दर्ज की गई. बिहार में मौसम की स्थिति शुष्क बनी हुई है. अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया जा रहा है. जिस वजह से राज्य में गर्मी काफी बढ़ती जा रही है.

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दो दिन देर से पहुंचा है मानसून
मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून इस वर्ष अपने अनुमानित समय से दो दिन देर से पहुंचा है. सामान्यत: मानसून केरल में एक जून को दस्तक देता है, लेकिन इस वर्ष मानसून तीन जून को केरल में आया है. तेजी से आगे बढने की उम्मीद की जा रही है.

राज्य में अधिकतम तापमान औरंगाबाद में 39.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. बिहार के गलगलिया में 15 मिलीमीटर, दाउदनगर में 6 मिलीमीटर, परबत्ता और सिकटी में 4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. राज्य में फिलहाल मौसम की स्थिति इसी प्रकार बरकरार रहने वाली है. दक्षिण पश्चिम मानसून मध्य अरब सागर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और मध्य बंगाल के कुछ हिस्सों में देखने को मिला.

बिहार में 15 जून तक पहुंचेगा मानसून
दक्षिण पश्चिम मानसून के अगले दस दिनों में ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों और बिहार में पहुंचने का अनुमान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून मध्य अरब सागर, कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों, गोवा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, कर्नाटक के अंदरूनी हिस्से, तेलंगाना के कुछ हिस्से और आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, मध्य बंगाल की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी के पूर्वोत्तर हिस्सों तक पहुंच चुका है.

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