पटना: बिहार की राजधानी पटना का टेम्परेचर 9 डिग्री के आसपास है. कड़कड़ाती इस ठंड में बिहार का सियासी तापमान चरम पर है. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी सियासी रोटी सेंकने में व्यस्त हैं. हो भी क्यों नहीं, मौका भी है और दस्तूर भी.
दरअसल, इंडिगो स्टेशन मैनेजर रूपेश सिह की हत्या के बाद नीतीश कुमार को उनके सहयोगियों के साथ-साथ विपक्ष भी घेर रहा है. कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है. हालांकि अभी तक नीतीश कुमार चुप थे, लेकिन शुक्रवार को जब उन्होंने मुंह खोला तो बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया. लगे हाथ विपक्ष को भी मौका मिल गया. 2021 में हड़प्पा की बात होने लगी.
2021 में हड़प्पा की बात क्यों?
अब आप सोच रहे हैं कि 2021 में हड़प्पा की बात. जी हां... हड़प्पा की बात. दरअसल, शक्रवार को लॉ एंड ऑर्डर के सवाल पर नीतीश कुमार भड़क गए और पत्रकारों से कहने लगे कि याद है न 2005 से पहले बिहार में क्या होता था. तुलना कर लीजिए.
तेजस्वी ने लपक लिया
सीएम नीतीश ने जैसे ही 2005 की बात कही तो नेता प्रतिपक्ष ने उसे लपक लिया. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाथ उठा अपराधियों के सामने सरेंडर कर दिया. कहा, “कोई नहीं रोक सकता अपराध!” हड़प्पा काल में भी होते थे अपराध. जरा तुलना कर लीजिए. उल्टा पत्रकारों से पूछ रहे हैं, क्या आपको पता है कौन हैं अपराधी और वो क्यों करते हैं अपराध?
क्राइम पर 2005 से पहले की बात?
नीतीश कुमार लगभग 15 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन जब भी बिहार में बड़ी वारदात होती है तो 2005 से पहले की बात होने लगती है. सत्ता पक्ष हर बार कहता है कि 2005 से पहले बिहार में क्या होता था, ये सबको पता है. लेकिन सवाल है कि 15 साल बाद भी 2005 से पहले वाला बिहार से तुलना क्यों हो रही है? ऐसा नहीं है कि पहली बार हो रहा है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी नीतीश कुमार अपनी जनसभा में बोलते रहते थे कि अगर महागठबंधन की सरकार बन गई तो बिहार 2005 से पहले वाला हो जाएगा.
नीतीश 'राज' में तीन बड़े ब्लाइंड केस
ऐसा नहीं है कि रूपेश सिंह हत्याकांड ही ब्लाइंड केस है. इससे पहले भी दो ऐसी वारदातें हुईं हैं, जिसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है. दरअसल, 12 जून 2009 की रात कदमकुआं थाना इलाके के राजेंद्र नगर में अपराधियों ने ट्रांसपोर्टर संतोष टेकरीवाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस वक्त भी इसी तरह से हायतौबा मचा था. शासन-प्रशासन लगातार दावा कर रहा था कि जल्द ही मामले का खुलासा कर दिया जाएगा, लेकिन 11 साल बाद भी एक भी अपराधी नहीं पकड़े गए.
गुंजन खेमका हत्याकांड
20 दिसंबर 2018 की दोपहर गुंजन खेमका की हत्या अपराधियों ने गोली मारकर कर दी थी. गुंजन खेमका की हत्या हाजीपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में हुई थी. उस वक्त भी बिहार की सियासत चरम पर थी. कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे थे.
2021 में रूपेश सिंह की हत्या
संतोष टेकरिवाल और गुंजन खेमका की तरह ही रूपेश सिंह की गोली मारकर हत्या की गई है. संतोष और गुंजन को घात लगाए अपराधियों ने खड़ी कार में गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी थी. उसी तरह मंगलवार की शाम रूपेश सिंह की हत्या कर दी गई. इन तीनों ही वारदातों में अपराधियों की हत्या करने का तरीका काफी मिलता जुलता है और ये सभी ब्लाइंड केस हैं.