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लॉकडाउन में लोगों की बढ़ी मुसीबत, सरकार की योजनाओं से पहुंची थोड़ी राहत

कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन ने लोगों की मुसीबत और बढ़ा दी है. एक तो जान का खतरा ऊपर से काम पर नहीं जाने से पैसे की दिक्कत. ऐसे में राज्य सरकार अलग-अलग तरह से लोगों तक राहत पहुंचाने की कोशिश कर रही है.

Bihar government
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Published : May 2, 2020, 4:51 PM IST

पटना:लॉकडाउन के कारण परेशानी झेल रहे लोगों को राहत देने के लिए जहां केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं, वहीं बिहार सरकार ने भी अपने स्तर पर कई अहम फैसले लिए हैं. विधवा, बुजुर्ग, बच्चे और बेरोजगारों को राहत देने के लिए राज्य सरकार की ओर से उनके खाते में धनराशि भी भेजी गई है. समाज कल्याण मंत्रालय की पहल पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत राज्य के कुल 84 लाख 76 हजार विधवा और दिव्यांग पेंशन धारियों को मार्च, अप्रैल और मई महीने की अग्रिम धनराशि का भुगतान किया जा चुका है.

पेंशनधारियों के खाते में पैसे ट्रांसफर

विभागीय मंत्री रामसेवक सिंह ने बताया कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 66 लाख 59 हजार लोगों को लाभ मिला है. उनके मुताबिक प्रति लाभुक हर महीने 400 रुपए की दर से पेंशन राशि उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए हैं. इसके अलावे आंगनबाड़ी केंद्रों, जीविका, सीडीपीओ और अन्य कर्मियों के माध्यम से करोना से बचने के लिए लगातार ग्रामीण इलाकों में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों पर फिलहाल सूखा राशन दिया जा रहा है, साथ पौष्टिकता का भी ख्याल रखा जा रहा है.

बैंक से पैसे निकालने आईं छात्राएं

बैंकों में बढ़ी भीड़

खाते में पैसे पहुंचने के साथ ही बैंकों में भीड़ भी बढ़ गई है, सरकार की इस पहल से लोगों को थोड़ी राहत मिली है. हालांकि कुछ लोगों की शिकायत है कि राशन के लिए मिलने वाले एक हजार उन्हें मिले हैं.

ग्रामीण विकास विभाग की पहल

वहीं, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से भी लगातार लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश हो रही है. मंत्री श्रवण कुमार कहते हैं कि केंद्र की एडवाइजरी जारी होने के बाद बिहार सरकार ने मनरेगा के तहत 20 अप्रैल से कार्य शुरू कर दिया है. इसके तहत पोखर खोदने और पशु शेड निर्माण में 3 लाख 63 हजार से अधिक मजदूरों को काम दिया गया है.

मनरेगा के तहत काम करते मजदूर

मनरेगा के तहत मजदूरों को काम

फिलहाल बिहार में 1 करोड़ 64 लाख जॉब कार्ड धारी मजदूर हैं, जिनमें 58 लाख सक्रिय कार्ड धारी हैं. मंत्री का दावा है कि बिहार की 8,471 पंचायतों में से 7,388 में मनरेगा के तहत काम जारी है. फिलहाल मजदूरों को रोजाना के हिसाब से 194 रुपए का भुगतान किया जा रहा है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा जा रहा है. इसके लिए एक जीविका दीदी को 25 मजदूरों के स्वास्थ्य के देखभाल की जिम्मेदारी दी गई है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

प्रवासी श्रमिकों को भी आर्थिक मदद

इसके अलावे 75 फीसदी हाजिरी वाले 1 करोड़ बच्चों के खाते में कुल 3100 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं. जबकि लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के 12 लाख श्रमिकों के खाते में सरकार की ओर से एक-एक हजार की राशि भेजी जा चुकी है.

राशन केंद्र के बाहर खड़े लोग

'ऊंट के मुंह में जीरा का फौरन'

हालांकि कई जगहों से ये भी शिकायत आ रही है कि जिन जरूरतमंदों तक सुविधाएं पहुंचनी चाहिए, वहां तक अभी नहीं पहुंच पा रही है. फिर इस महंगाई के जमाने में एक हजार से महीने भर कैसे घर चल सकता है. सरकार को व्यवस्था और बेहतर करने पर गंभीरता से ध्यान देना होगा.

सामुदायिक रसोई में तैयार भोजन

व्यवस्था और बेहतर करने की जरूरत

कोरोना के इस संकट के बीच सरकारी मदद से आम लोगों को काफी राहत मिल रही है, लेकिन हर योजना की तरह इस बार भी इसके कार्यान्वयन को लेकर कुछ शिकायतें आ रही हैं. ऐसे में जरूरत है कि इसे जल्द दुरूस्त किया जाए.

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