पटना : बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (bihar dharmik nyas board) के राज्य के मंदिर-मठों की परिसंपत्तियों की जानकारी इकट्ठा करने में जुटा हुआ है. यहां तक की निजी मंदिरों से भी पैसा वसूलने की तैयारी चल रही है. लेकिन चिराग तले अंधेरे वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है. दरअसल, जो धार्मिक न्यास बोर्ड राज्य के मंदिरों मठों की संपत्ति की देखरेख करता है, उसका खुद का अपना भवन जर्जर हालत में है. जी हां, बोर्ड का भवन रंगाई पुताई नहीं होने के कारण भवन दिन प्रतिदिन जर्जर होते जा रहा है. भवन पूरी तरह से खंडहर में तब्दील (Bihar Dharmik Nyas Board Building In Bad Condition ) हो रहा है. दीवारों में दरार पड़ गई है. लेकिन भवन के जीर्णोद्धार करने के लिए पैसा ही नहीं मिल रहा है.
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बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने बातचीत के दौरान बताया कि, जहां तक भवन जर्जर की बात है तो इसके लिए भवन निर्माण विभाग को दो बार पत्र लिखा गया है. लेकिन अभी तक जवाब नहीं आया है. अगर जवाब आ जाता तो उसके बाद हम स्वतंत्र थे आगे की रणनीति बनाते कि किस तरह से भवन को जीणोद्धार किया जा सके. यहां तक कि धार्मिक न्यास बोर्ड में कर्मचारियों की भी काफी कमी है.
'नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जा रही है. जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें समय पर वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है. यहां तक कि सरकार से फंड की डिमांड भी की गई लेकिन वह भी अभी तक नहीं मिल पाया है.':-अखिलेश जैन, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष
बता दें कि बिहार में मंदिर और मठों की परिसंपत्तियों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए सरकार के निर्णय के बाद अखिलेश जैन भी कई बार आम लोगों से भी अपील की है कि, लोग अपने इलाके के मठ मंदिरों की संपत्तियों की जानकारी दें ताकि बाद धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सके. बिहार में 4600 मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड से निबंधित हैं. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि 90% मंदिर की परिसंपत्तियों का डिटेल आज भी धार्मिक न्यास बोर्ड के पास नहीं है.