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...तो नीतीश के साथ धोखा हो गया! BSP से जेडीयू में आए जमा खान बोले- हम भी कभी हिंदू थे - नीतीश के साथ धोखा

ओवैसी-मायावती-कुशवाहा वाले जीडीएसएफ (ग्रांड डेमोक्रैटिक सेक्युलर फ्रंट) गठबंधन से विधायक बने 53 वर्षीय मोहम्मद जमा खान बीएसपी के इकलौते विधायक चुने गए थे, जो बाद में विकास का हवाला देते हुए जेडीयू में शामिल हो गए थे. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उन्हें चैनपुर से जीत बीएसपी की वजह से नहीं बल्कि अपनी बदौलत मिली है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

minister zama khan statement
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Published : Jul 9, 2021, 10:38 PM IST

पटनाःबिहार के अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री मोहम्मद जमा खान( Minister Zama Khan ) ने धर्म परिवर्तन को लेकर जो बयान दिया है, उससे नीतीश कुमार( CM Nitish Kumar ) सकते में आ सकते हैं. जमा खान का कहना है कि उनके पूर्वज हिंदू ( Ancestors Were Hindus ) राजपूत थे और उन्‍होंने इस्‍लाम धर्म कबूल कर लिया था. अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री ने दावा किया कि आज भी उनके कई रिश्‍तेदार राजपूत हैं और बगल के गांव में रहते हैं.

अब ये सवाल कि आखिर जमा खान का ये कहना कि, हम भी कभी हिंदू थे, कहीं ये नीतीश कुमार के साथ धोखा तो नहीं है? दरअसल, बिहार में नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक प्रेम बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद भी छिपा नहीं है. नीतीश अपने आप को सेकुलर दिखाने के लिए काफी कुछ करते थे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय उनके साथ फोटो भी खिंचाने से बचते थे. मुस्लिम वोटर की जो भी उम्मीदें थीं, वो धीरे-धीरे टूटती चली गईं. नतीजा ये हुआ कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के 11 में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार जीत नहीं सके. उसके बावजूद नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक प्रेम खत्म नहीं हुआ था.

अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री मोहम्मद जमा खान

दरअसल, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाए. नीतीश कुमार के लिए यह बड़ा झटका था, लेकिन जमा खान पर नीतीश कुमार की शुरू से नजर थी. और आखिरकार जेडीयू ने बीएसपी छोड़कर आए जमा खान को मंत्री पद के तोहफे से नवाजा गया था.

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2017 में नीतीश जब लालू का साथ छोड़कर एनडीए के साथ आए तब भी उन्होंने कैबिनेट में एक मुस्लिम मंत्री को शामिल किया था. बिहार में पिछली नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे जेडीयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज एकलौते मंत्री थे.

2015 में कुल 24 मुस्लिम विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ 19 को ही यह मौका मिल पाया है. इनमें 8 आरजेडी से, 5 एआईएमआईएम से, 4 कांग्रेस से और 1-1 बीएसपी और सीपीएम से चुनाव जीते हैं.

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मुस्लिमों के मुंह मोड़ लेने के कारण ही 2020 के चुनव में जेडीयू को कई सीटों पर झटका लगा था. ऐसे में जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. पिछले 15 सालों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में दिख रही है. बीजेपी 74 सीट के साथ दूसरे नंबर पर है. जबकि जेडीयू के पास मात्र 43 सीट. हालांकि बीएसपी विधायक के आने से संख्या बढ़कर 44 हो गयी है.

बता दें कि बिहार में मुस्लिमों की आबादी लगभग 17 प्रतिशत के आसपास है. सीमांचल के अररिया, किशनगंज जैसे जिलों में आबादी इनकी सबसे अधिक है. इसके अलावा कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी में भी मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है.

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