पटना:अनुच्छेद 370 पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फंस गए हैं? यह सवाल इसलिए क्योंकि अनुच्छेद 370 को विवादित मुद्दा बताने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब इस पर बात ही नहीं करना चाहते हैं.
मीडिया से रूबरू होते सीएम नीतीश कुमार दरअसल, शुक्रवार को राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान के लिए जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत करने के बाद मीडिया ने बापू सभागार में नीतीश कुमार से अनुच्छेद 370 पर सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने सवाल को टाल दिया. उन्होंने कहा कि,' आज कुछ और चीज पर ध्यान दीजिए'.
370 पर नीतीश कुमार चुप क्यों?
कई विपक्षी नेताओं ने भी अपनी पार्टी लाइन से अलग जाकर अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने के फैसले पर सरकार का समर्थन किया है. राज्यसभा में पार्टी ने 370 का विरोध किया. लेकिन वक्त के साथ, पार्टी के दूसरे नेताओं का अनुच्छेद 370 पर रूख नरम दिखने लगा है. लेकिन नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर अभी भी चुप्पी साध रखी है.
370 पर नीतीश की पार्टी का नरम रुख
जेडीयू ने बुधवार को यूटर्न लेते हुए घोषणा की कि वह जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के केंद्र के कदम का समर्थन करते हैं. जेडीयू, एनडीए का एक प्रमुख घटक है. अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने का विरोध करने के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह ने कहा कि जब कोई कानून प्रभावी हो जाता है तो यह देश का कानून हो जाता है और सभी को इसको स्वीकार करना चाहिए. जेडीयू के राज्यसभा सांसद सिंह ने कहा, 'हम अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने पर सरकार के साथ हैं.'
आरसीपी सिंह, नेता, जेडीयू अनुच्छेद 370 खत्म करने का विरोध किया था
बता दें कि इससे पहले जेडीयू ने इस विधेयक का राज्यसभा में विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया. जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि, 'हमारी पार्टी समाजवादी आंदोलन का प्रतिफल है. इसके नेता लोहिया जी शेख अब्दुल्ला के साथ थे और अनुच्छेद 370 को बनाए रखने के पक्षधर थे और उसके बाद जयप्रकाश नारायण जी और जॉर्ज फर्नांडीस जी, सभी बिना किसी छेड़छाड़ के अनुच्छेद 370 के पक्ष में थे. इसका निरस्तीकरण भाजपा का एजेंडा रहा है, लेकिन एनडीए का कभी नहीं रहा है. इसलिए हमने इसका विरोध किया.'
370 पर नीतीश कुमार की चुप्पी धारा 370, कॉमन सिविल कोड पर क्या कहा था नीतीश कुमार ने
नीतीश कुमार ने कहा था, 'इसमें कोई विरोधाभास नहीं है. हमने पहले भी बता दिया था कि धारा 370 हटाने की बात नहीं होनी चाहिए. कॉमन सिविल कोड को (ट्रिपल तलाक) को थोपने की बात नहीं होनी चाहिए.
इतना ही नहीं, अयोध्या मसले का हल आपसी सहमति और कोर्ट के फैसले के आधार पर होना चाहिए. और ये बात हमनें तब ही साफ कर दी थीं, जब पहली बार 1996 में हम एनडीए में शामिल हुए थे. अपने स्टैंड पर हम आज भी कायम हैं.'