पटना:बिहार का विधानसभा चुनाव 2020 में हुआ था और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी. लेकिन, तब राजद (RJD) सरकार बनाने से चूक गया था. इस बार सीटें तो महज दो हैं, लेकिन राजद ने पूरी ताकत लगा दी. पिछली बार चिराग फैक्टर की वजह से राजद के सबसे बड़ी पार्टी बनने की बात कही जा रही थी, लेकिन इस बार पूरा दारोमदार तेजस्वी यादव पर है. यही वजह है कि ना सिर्फ नीतीश कुमार के लिए इन दोनों सीटों का जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न है, बल्कि तेजस्वी के लिए भी यह किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.
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तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनावकिस हद तक राजद और जदयू के लिए महत्वपूर्ण है यह तो चुनाव की तैयारियों से ही पता चल गया. अब नतीजे कितने महत्वपूर्ण हैं यह साफ नजर आ रहा है, क्योंकि नतीजे आने से पहले ही एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दरभंगा रवाना हो गए हैं, दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और थिंक टैंक माने जाने वाले जगदानंद सिंह तारापुर के लिए रवाना हुए हैं. यह दोनों वहां चुनाव में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर नतीजे आने तक डेरा डालेंगे.
''हम सब लोगों को पूरा विश्वास है कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों जगहों की जनता का आशीर्वाद राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशियों को मिलेगा. उपचुनाव में राजद दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.''-तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
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पूरे चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद अब नतीजे आने तक भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दावा करते रहे कि सरकार ने प्रशासन की मदद से गड़बड़ी की है और नतीजे में भी गड़बड़ी की पूरी आशंका है. इधर, भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा कि बिहार में सबसे बड़ा मुद्दा तो खुद राष्ट्रीय जनता दल ही है. लोग यह सोचते हैं कि किस तरह राजद को जीतने नहीं दिया जाए.