पटना: राजधानी में लॉकडाउन के कारण सड़कों पर सन्नाटा है और बाजार बंद है. लोगों के बाहर निकलने पर जहां रोक है, वहीं, प्रदेश में नशा के कारोबार पर भी कोरोना की मार पड़ी है. बिहार में शराबबंदी तो पहले से ही लागू है. कोरोना काल में सरकार ने कई अन्य तरह की नशा पर भी पाबंदी लगा दी है. बिहार सरकार ने तंबाकू, खैनी और गुटखा खाकर सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब ऐसा करने पर छह महीने की जेल या जुर्माना देना पड़ सकता है.
आईसीएमआर की गाइडलाइंस के बाद कार्रवाई
दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए आईसीएमआर ने इस संबंध में एडवाईजरी भी जारी की है. जिसमें बताया गया है कि पान मसाला, खैनी, जर्दा और गुटखा खाकर यत्र-तत्र थूकने से कोरोना वायरस फैलने का खतरा बढ़ता है. अतः इसके सार्वजानिक जगहों पर इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इस एडवाईजरी के बाद बिहार सरकार ने बिना देरी किए तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, बीड़ी और सिगरेट के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. दुकानों में कहीं भी अब इन चीजों की बिक्री नहीं हो पा रही है. हालांकि चोरी-छिपे लोग महंगे दामों पर बेच भी रहे हैं और नशा के आदी लोग खरीद भी रहे हैं.
लॉकडाउन में पान मसालों की दुकानें बंद नशा करने वालों की संख्या में कमी
नशीले पदार्थ पर लगी रोक के कारण कई तरह के सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं. मनोचिकित्सकों के मुताबिक सामान्य दिनों की तुलना में पिछेल डेढ़ महीने में नशा करने वाले मरीजों की संख्या में काफी कमी देखने को मिल रही है.
नशामुक्ति उन्मूलन की दिशा में बिहार
बिहार की सरकार पिछले कई सालों से नाशमुक्ति उन्मूलन को लेकर अभियान चला रही है. इसी के तहत एक तरह जहां अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया. वहीं, पान मसालों में प्रतिबंधित मैग्नीशियम कार्बोनेट पाए जाने के बाद पान मसाले के 15 ब्रांड के विनिर्माण, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया. तो क्या कड़े कानून और लॉकडाउन में आसानी से नशीले पदार्थ नहीं मिलने के कारण ही सिर्फ नशा करने वालों की संख्या घटी है. लॉकडाउन हटने के बाद फिर इसमें तेजी आ जाएगी. हालांकि कई लोग कहते हैं कि जब डेढ़-महीने से बिना नशा सेवन के रह रहा हूं तो सोच रहां हूं कि आगे भी इसे हाथ न लगाऊं.
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वहीं, मनोचिकित्सक कहते हैं कि ये बात सच है कि लॉक डाउन के दौरान दुकान बंद होने से नशीले पदार्थ मिलने में बहुत दिक्कत हो रही है. इसलिए काफी संख्या में लोग या तो छोड़ने लगे हैं या कम सेवन कर रहे हैं. जहां तक इसे पूर्ण रूप से छोड़ने की बात है तो ये हर व्यक्ति की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है. लॉकडाउन के कारण मजबूरी में ही सही लेकिन ये सच है कि नशा के काले कारोबार पर कुछ हदतक ब्रेक लगा है, वहीं कई लोग इसे छोड़ने की भी सोच रहे हैं. जोकि अच्छे संकेत हैं.