पटना: राजधानी के आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक ने डेंगू के इलाज में आयुर्वेद का इस्तेमाल करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया. आयुर्वेदिक चिकित्सक का दावा है कि डेंगू के इलाज में आयुर्वेद काफी हद तक कारगर है. डेंगू के अलावा अन्य बुखार, पेट की गड़बड़ी, उल्टी, दस्त और लीवर की समस्या आदि कई बीमारियों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बहुत कारगर है.
डेंगू के इलाज के आयुर्वेदिक तरीके
डेंगू के बढ़ते कहर को देखते हुए आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल ने डेंगू से बचाव के आयुर्वेदिक तरीके साझा किए हैं. अस्पताल के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद ने कहा है कि जड़ी-बूटियों से डेंगू का इलाज संभव है. गिलोय, एलोवेरा, पपीते का पत्ता, तुलसी का पत्ता और अनार के जूस के सेवन से डेंगू से निजात पाया जा सकता है. प्राचार्य ने दिन में 3-4 बार इन चारों को मिलाकर 50 ग्राम जूस का सेवन की सलाह दी. इससे प्लेटलेट्स की घटती संख्या को रोकने में मदद मिलती है. ज्यादा बुखार की स्थिति में उन्होंने एलोवेरा के गुद्दे का लेप शरीर में लगाने की सलाह दी. इससे बुखार कम हो जाता है.
डेंगू से बचाव के घरेलु नुस्खे
प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद का दावा है कि डेंगू से लेकर स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया जैसी सभी बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर इलाज है. डेंगू को लेकर उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए सरसों के तेल में कपूर डालकर या नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं, तुलसी के पत्ते और लौंग के पानी का प्रयोग डेंगू से बचाव और इसके इलाज दोनों में कारगर है. डेगू के मरीजों को तुलसी के पत्ते के अलावा गिलोय के पत्ते, पपीते के पत्ते का काढ़ा भी बनाकर पिलाया जाता है. साथ ही, धूप यानी हुमाद की लकड़ी को जलाकर इसका इस्तेमाल घरों में मच्छर भगाने के लिए किया जाता है.
आयुर्वेदिक चिकित्सक ने किया दावा डेंगू का कहर
पटना सहित पूरे बिहार में इन दिनों डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है. डेंगू के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अस्पतालों में लोगों के लिए बिस्तर कम पड़ रहे हैं. अब तक पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब में 2500 से ज्यादा डेंगू के मरीजों की पहचान हुई है. इसके अलावा, प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भड़े हुए हैं.
मरीजों को देखते आयुर्वेदिक प्राचार्य