पटना:बिहार के पटना में महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्यको लेकर जागरूक किया जा रहा है. इसी कड़ी में इंडियन डायग्नोस्टिक एसोसिएशन के सहयोग से राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम का (Awareness Program on Women Health in Patna) आयोजन किया गया. इसमें विशेषज्ञों ने कहा कि, पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक जीती हैं. बिहार चैप्टर के सहयोग से कंकड़बाग स्थित डॉक्टर्स कॉलोनी के मेडी वर्सेस मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में राष्ट्रीय पोषण माह के मौके पर सीएमई आहार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने महिलाओं को सेहत व पोषण पर विशेष ध्यान देने की बात की.
ये भी पढ़ेंः मसौढ़ी:कोरोना काल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई, उपहार स्वरूप भेंट की गई 'पोषण थाली'
प्रेगनेंसी के दौरान स्वास्थ्य रखें बेहतरः चिकित्सकों ने बताया कि महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान तो स्वास्थ्य का बेहतरीन ख्याल रखती हैं, लेकिन प्रसव के बाद स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देतीं, जो बेहद महत्वपूर्ण है. 6 महीने तक नवजात को स्तनपान की विशेष आवश्यकता होती है और इस समय महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और खानपान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. डाइटिशियन प्रिया दुबे ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को जागरूक कर रही हूं. प्रेगनेंसी और लेक्टेशन पीरियड के दौरान उन्हें किस प्रकार का खानपान रखना चाहिए क्योंकि बेहतर खान पान रहेगा तो जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ होंगे. उन्होंने बताया कि लेक्टेशन पीरियड के दौरान महिलाओं के खानपान में दूध और दही का होना बेहद आवश्यक है.
"राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को जागरूक कर रही हूं. प्रेगनेंसी और लेक्टेशन पीरियड के दौरान उन्हें किस प्रकार का खानपान रखना चाहिए क्योंकि बेहतर खान पान रहेगा तो जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ होंगे. महिलाएं जब लेक्टेशन पीरियड में है उस समय जरूरी है कि वह अल्कोहल का सेवन ना करें इसके अलावा फास्ट फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का भी सेवन ना करें. इसके साथ ही एक्सेसिव एक्सरसाइज ना करें"-डॉ प्रिया दुबे, डाइटिशियन
प्रेगनेंसी के बाद भी दे स्वास्थ पर देते रहें ध्यानः डॉ. निशिकांत कुमार ने बताया कि महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी और लेक्टेशन का फेज काफी महत्वपूर्ण होता है. प्रेगनेंसी के समय महिलाओं की जो जरूरत होती है वह लेक्टेशन के समय और अधिक बढ़ जाती है. प्रेगनेंसी के समय पूरा परिवार ख्याल रखता है, लेकिन लेक्टेशन के समय कोई ख्याल नहीं रखता. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाए. ताकि महिलाओं के छिंकने और खांसने से हड्डियां टूटने लगती हैं. इस कार्यक्रम में इस कंडीशन में भी महिलाएं कैसे अपने हड्डियों को मजबूत रख सके इसके बारे में जानकारी दी जा रही है. कार्यक्रम में महिलाओं को जानकारी दी गई है कि उनके खानपान में प्रोटीन की सप्लीमेंट कैसे बढ़ाई जाए कि उनके हड्डियों की ताकत बढ़ सके.
कुपोषण खत्म करने के लिए जागरूकता जरूरीः डाइटिशियन प्रिया दुबे ने बताया कि पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और महिलाओं और बच्चों में कुपोषण को खत्म करना राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कार्यक्रम कर वह जागरूक कर रही हैं. उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए जरूरी है कि वह नवजात के जन्म के एक घंटे के भीतर अपने बच्चे को दूध पिलाएं और 6 माह तक बच्चे को अपना ही दूध पिलाएं. इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं अच्छा हाई प्रोटीन डाइट लें. इसमें वह रहर दाल मसूर दाल पनीर उबला हुआ अंडा इत्यादि का सेवन कर सकती हैं. महिलाएं जब लेक्टेशन पीरियड में है उस समय जरूरी है कि वह अल्कोहल का सेवन ना करें इसके अलावा फास्ट फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का भी सेवन ना करें. इसके साथ ही एक्सेसिव एक्सरसाइज ना करें. इसके अलावा कच्चा अंडा और कैफीन युक्त ड्रिंक्स यानी कि अत्यधिक चाय और कॉफी का सेवन ना करेंगे.
"महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी और लेक्टेशन का फेज काफी महत्वपूर्ण होता है. प्रेगनेंसी के समय महिलाओं की जो जरूरत होती है वह लेक्टेशन के समय और अधिक बढ़ जाती है. प्रेगनेंसी के समय पूरा परिवार ख्याल रखता है, लेकिन लेक्टेशन के समय कोई ख्याल नहीं रखता. इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाए''-डॉक्टर निशीकांत कुमार, हड्डी रोग विशेषज्ञ