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'शराब छुड़ाने के लिए जागरुकता अभियान, लोगों पर इंपेक्ट का करेंगे स्टडी'- सुनील कुमार

मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार (Prohibition Minister Sunil Kumar) ने कहा कि शराब पीने वाले को मुख्यधारा में लाने के लिए हम लोग पोस्टर का भी सहारा ले रहे हैं. और उसका स्टडी भी अब कराएंगे कि कितना इसका असर हो रहा है. यह एक जागरूकता के तहत कार्यक्रम हम लोग चला रहे हैं. इसका भी अध्ययन हम लोग करेंगे कि कितना इसका इंपेक्ट हो रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार सरकार के मंत्री सुनील कुमार
बिहार सरकार के मंत्री सुनील कुमार

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Published : Oct 12, 2022, 6:30 PM IST

Updated : Oct 12, 2022, 11:04 PM IST

पटना:जदयू कार्यालय के जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंचे मंत्री सुनील कुमार (Minister Sunil Kumar)ने कहा कि बिहार सरकार ने 2 साल पहले ऐसे लोगों के लिए जो ताड़ी और शराब के व्यापार से जुड़े हुए थे, उनके लिए सतत जीविका कार्यक्रम लाई. जिसके तहत आर्थिक मदद दी जाती है. इसमें करोड़ों रुपए वितरित किए गए हैं. पहली बार शराब पीने में पकड़े जाने पर जुर्माना देकर छोड़ देने का भी प्रावधान किया गया है. हम लोग शराब की आदत छुड़ाने के लिए इलाज भी (Awareness Campaign To Get Rid Of Alcohol In Bihar) कराते हैं, पोस्टर भी लगा रहे हैं. जिससे परिवार, शराब पीने वाले पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़े. और लज्जा के कारण शराब पीना छोड़ दें.

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'यह एक जागरूकता के तहत कार्यक्रम हम लोग चला रहे हैं, इसका भी अध्ययन हम लोग करेंगे कि कितना इसका इंपैक्ट हो रहा है. एक तरफ हम लोग गिरफ्तारी और अन्य कार्रवाई कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी किया जा रहा है.'- सुनील कुमार, मद्य निषेध मंत्री

शराबबंदी के लाखों केस पेंडिंग :बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) के कारण लाखों केस पेंडिंग है. जेलों में बड़ी संख्या में लोग सुनवाई के इंतजार में बंद हैं. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था और उसके बाद ही सरकार ने संशोधन भी किया और केस के निपटारे के लिए कई तरह के प्रयास भी शुरू किया जा रहा है. गौरतलब है कि विधानसभा में मद्य निषेध और उत्‍पाद संशोधन विधेयक 2022 पास कराया गया था. जिसके बाद इस संशोधित कानून के तहत कार्रवाई की जा रही थी. दरअसल शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था क्योंकि कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जेलों में कैदियों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा था. इन सभी चिजों को देखते हुए सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कानून को लचीला बनाने की कोशिश की.

अप्रैल 2016 से शराबबंदी : 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. अवैध तरीके से देसी शराब उत्पादन और विदेशी शराब की बिक्री की जा रही है. ऐसे माफियाओं पर लगातार बिहार पुलिस की ओर से अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है. पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2021 में बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत बिहार के सभी जिलों में विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया है. इस दौरान कुल 66,258 प्राथमिकी दर्ज की गई है.

Last Updated : Oct 12, 2022, 11:04 PM IST

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