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आशा कार्यकर्ताओं की दस सूत्री मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन, 17 दिसंबर को सिविल सर्जन का करेंगे घेराव - etv bihar live

17 दिसंबर को सिविल सर्जन के समक्ष बिहार के तमाम बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं. मसौढी में इसको लेकर सभी प्रखंडों से आए आशा कार्यकर्ता तैयारी मे जुटे हैं.

दस सूत्री मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन
दस सूत्री मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन

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Published : Dec 13, 2021, 3:22 PM IST

पटना: 10 सूत्री मांगों को लेकर लगातार बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (Bihar State ASHA & ASHA Facilitator Association) के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. आगामी 17 दिसंबर को एक बार फिर से बिहार के तमाम आशा कार्यकर्ताओं (All ASHA Workers of Bihar) द्वारा सिविल सर्जन का घेराव करते हुए विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

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आगामी 18 दिसंबर को एक दिवसीय महाधरना का आयोजन किया जा रहा है. मसौढ़ी में सभी प्रखंडों से आए आशा कार्यकर्ता तैयारी में जुटे हैं. आगामी 17 दिसंबर को सिविल सर्जन के समक्ष बिहार के तमाम आशा कार्यकर्ता एवं आशा फैसिलिटेटर एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं. अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर लगातार बिहार के तमाम प्रखंडों के आशा कार्यकर्ता आंदोलनरत हैं.

आशा कार्यकर्ताओं की दस सूत्री मांग में सरकारी सेवक घोषित करने एवं करोना काल में किए गए कार्यों के बावजूद अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने, सरकार द्वारा उन्हें सम्मानित नहीं किए जाने के अलावा मानदेय भुगतान, बकाया राशि समेत प्रमुख मांगे हैं. इन्ही मांग को लेकर आशा कार्यकर्ता आगामी 17 दिसंबर को सिविल सर्जन पटना के समक्ष आक्रोश पूर्ण विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं.

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बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ के जिला मंत्री मोहम्मद लुकमान ने बताया कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं को मजदूर तो मानती है लेकिन मजदूरी समय पर नहीं देती है. करीब 10 माह से आशा के प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ है.

कोरोना काल में जिस तरह से सभी आशा कार्यकर्ताओं ने कार्य किया है उस हिसाब से सरकार ने उन्हें सम्मान भी नहीं दे रही है. सभी प्रखंडों में आशा का मानदेय बकाया है इसके अलावा अस्पतालों में जो मरीजों की भीड़ उमड़ रही है. प्रसव जच्चा-बच्चा सुरक्षा कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण, विशेष टीकाकरण अभियान समेत तमाम योजनाओं में आशाओं के बहुमूल्य रोल है. इसके बावजूद सरकार उस पर ध्यान नहीं दे रही है.

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