पटना:बिहार में 7 सीटों पर विधान परिषद चुनाव (Bihar MLC Election 2022) हो रहे हैं. राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. भाजपा और जदयू ने सीटों को आपस में बांट लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी एक सीट के लिए उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन मांझी के लिए भाजपा और जदयू ने सीट नहीं छोड़ी है. हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने किशनगंज के राष्ट्रीय कार्यसमिति में एनडीए नेताओं पर जमकर भड़ास निकाला. मांझी ने कहा कि हम एनडीए के अंदर घुटन महसूस कर रहे हैं.
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आइए जानते हैं मांझी एनडीए में क्यों है असहज:पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम का गठबंधन जदयू के साथ है, और सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) लगातार जीतन राम मांझी की मांग को अनसुनी कर रहे हैं. दरअसल, राज्यपाल कोटे से हो रहे मनोनयन के दौरान भी जितना मांझी ने हम पार्टी के लिए एक सीट मांगी थी लेकिन भविष्य के आश्वासन पर उन्हें मना लिया गया. स्थानीय निकाय के चुनाव में हम पार्टी की ओर से दावेदारी की गई थी, लेकिन निकाय चुनाव में भी हम पार्टी के लिए सीट नहीं छोड़ी गई और अब यह तीसरा मौका है जब हम पार्टी को निराशा हाथ लगी है.
NDA में को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग: भाजपा और जदयू के एकतरफा ऐलान के बाद से हम पार्टी नेताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है. और अब NDA में को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. आपको बता दें कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी के मामले पर ही जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हुए थे. अब विधान परिषद चुनाव की प्रक्रिया को भी समझना जरूरी है. इस बार जो चुनाव हो रहे हैं, उसमें मतदान में विधायक हिस्सा लेते हैं. और विधायकों के संख्या के हिसाब से ही राजनीतिक दलों को हिस्सेदारी मिलती है. फिलहाल बिहार में 31 विधायकों के समर्थन से एक विधान पार्षद को जिताया जा सकता है.
मांझी के बयान के क्या है राजनीतिक मायने?: वर्तमान परिस्थितियों में जदयू के पास 46 विधायक हैं और उन्हें कुल 62 विधायकों के समर्थन की दरकार थी. जदयू ने भाजपा से 15 विधायकों का समर्थन लिया और तब दूसरी सीट भी उनके पाले में गई. अगर आठवां उम्मीदवार मैदान में नहीं आता है तब वोटिंग की नौबत नहीं आएगी. और फिर निर्विरोध सातों प्रत्याशी चुनाव जीत जाएंगे. जीतन राम मांझी के पास महज 4 विधायक हैं. ऐसे में अंक गणित के लिहाज से भाजपा और जदयू नेता मांझी को हिस्सेदारी देने के लिए तैयार नहीं है. दूसरी तरफ हम पार्टी का मानना है कि पिछले कई चुनावों में या तो हमारे विधायकों ने उनके पक्ष में मतदान किया या फिर हमारे वोटरों ने भाजपा जदयू के प्रत्याशियों के लिए वोट किया. इस लिहाज से हमारा हक भी बनता है.
'भाजपा और जदयू के लोग छोटे दलों की उपेक्षा कर रहे हैं. एनडीए में सामंजस्य का घोर अभाव है और बगैर सहमति के ही एक तरफा ऐलान कर दिया जाता है. एमएलसी की 1 सीट हमारी पार्टी को भी मिलना चाहिए. एनडीए के अंदर यथाशीघ्र को-ऑर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिए.'- विजय यादव, प्रदेश प्रवक्ता, हम
'पार्टी को एनडीए पूरा सम्मान दे रही है. उनके पुत्र सरकार में मंत्री हैं. इस बार सीटें कम थी, इस वजह से हम पार्टी को नहीं दिया जा सका. जीतन राम मांझी को सब्र करना चाहिए.'- विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता