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बिहार बंद के बाद अब आइसा–इनौस का पूरे प्रदेश में 'रेलवे भर्ती आंदोलन'

आरआरबी एनटीपीस परीक्षा रिजल्ट में धांधली (rrb ntpc exam result discrepancy) को लेकर बुलाये गये बिहार बंद को भारी समर्थन मिला था. अब आंदोलनकारी अगले कदम की तैयारी में जुट गये हैं. मामला अब RRB-NTPC की परीक्षा में 7 लाख संशोधित रिजल्ट और ग्रुप D में पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा का नहीं रह गया है, बल्कि रेलवे के निजीकरण के जरिए मोदी सरकार द्वारा रोजगार के अवसरों पर लगातार किए जा रहे हमले का भी बन चुका है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jan 29, 2022, 8:37 PM IST

पटना: RRB-NTPC में संशोधित 7 लाख रिजल्ट (RRB NTPC Result), ग्रुप D में पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर एक ही परीक्षा आयोजित करने और आंदोलनकारी छात्रों पर से सभी मुकदमे वापस लेने की मांग पर आइसा-इनौस द्वारा 28 जनवरी को आहूत बिहार बंद (Students Bihar Bandh) को मिले व्यापक समर्थन ने सत्ता के सभी तिकड़मों को फेल कर दिया. वह मामले को उलझाने व टालने में लगी हुई है.



आज पटना में दोनों संगठनों के राज्यस्तरीय टीम की बैठक हुई. बैठक से तय किए गए आगे के आंदोलनात्मक निर्णयों के आलोक में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. संवादददाता सम्मेलन में इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार व आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव उपस्थित थे.

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छात्र-युवा नेताओं ने कहा कि सरकार यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है कि आंदोलनकारियों की मांगें मान ली गई हैं. लेकिन मामला अब RRB-NTPC की परीक्षा में 7 लाख संशोधित रिजल्ट और ग्रुप D में पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा का नहीं रह गया है, बल्कि रेलवे के निजीकरण के जरिए मोदी सरकार द्वारा रोजगार के अवसरों पर लगातार किए जा रहे हमले का भी बन चुका है.

किसी भी परीक्षा की प्रक्रिया 5-7 वर्षों से पहले पूरी नहीं होती. इस बीच छात्र-युवाओं को बेहद मानसिक पीड़ा से गुजरनी पड़ती है. बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप D तक की परीक्षा में भारी भीड़ है. छात्र-युवाओं के आक्रोश का विस्फोट सरकार की इन्हीं नीतियों की वजह से हुआ. विगत 7 सालों में उन्हें केवल धोखा मिला है.

अतः पहली दो मांगों के साथ रेलवे की खत्म की गई नौकरियों सहित सभी रिक्त पदों पर अविलम्ब बहाली, रेलवे के निजीकरण पर रोक, रेलवे के द्वारा भर्ती कैलेंडर जारी करने और आंदोलनकारियों पर से सभी मुकदमे वापस करने का मुद्दा भी अब इस आंदोलन में जुड़ गए हैं.

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इन 6 सूत्री मांगों पर देश के रेल मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, सरकार पर दवाब बनाने के लिए बिहार के सभी सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों को भी यह ज्ञापन सौंपा जाएगा. वे इस मसले को संसद के अंदर उठाएं और सरकार पर दवाब बनाएं. यह अभियान 'रेलवे भर्ती आंदोलन' के नाम से चलेगा. यदि 4 मार्च तक इन 6 सूत्री मांगों पर कार्रवाई नहीं होती तो 5 मार्च को सभी रेलवे परिसर में धरना दिया जाएगा और भारत बंद की ओर बढ़ा जाएगा.

उनकी मांगों में RRB– NTPC के PT रिजल्ट में पदों का 20 गुणा संशोधित रिजल्ट करना, ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा के पुराने नोटिफिकेशन पर अमल करना, रेलवे की खत्म की गई नौकरियों समेत सभी रिक्त पदों पर बहाली घोषित करना, आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमें वापस करना, रेलवे भर्ती का कैलेंडर जारी करना तथा रेलवे का निजीकरण बंद करना शामिल है.

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