पटना: बिहार में 2015 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. इसके मद्देनजर विपक्ष सरकार पर कई तरह के आरोप लगाता रहा है. शराबबंदी पर कई सवाल भी खड़े हुए, लेकिन आद्री की रिपोर्ट सरकार के लिए बड़ी राहत की खबर लेकर आई है. आद्री ने शराबबंदी के बाद जो रिपोर्ट तैयार की है उसके मुताबिक सरकार की शराबबंदी सफल मानी जा सकती है.
शराबबंदी के बाद नहीं हुआ राजस्व में घाटा
आद्री की रिपोर्ट से पता चलता है कि शराबबंदी के बाद न तो पर्यटक घटे और ना ही राजस्व में कमी आई. यहां तक की साड़ियों की बिक्री में भी 1हजार 785 गुना इजाफा हुआ. पनीर और शहद की बिक्री में 200 से 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. दरअसल यह संभावना जताई जा रही थी कि शराबबंदी लागू होने से सरकार के राजस्व में काफी कमी आएगी, क्योंकि 2015 में शराब की बिक्री से 3500 करोड़ राजस्व की आमदनी हो रही थी.
उपभोक्ता सामग्री की अधिक बिक्री से हुआ फायदा
बिहार में शराबबंदी को लगभग 4 साल पूरे हो चुके हैं. आद्री ने शराबबंदी के बाद स्टडी के बाद जो रिपोर्ट पेश की है उसमें राज्य के राजस्व में कोई कमी नहीं आई. इसका बड़ा कारण उपभोक्ता सामग्री की अधिक बिक्री होना रहा. आद्री के अर्थशास्त्री पीपी घोष ने कहा शराबबंदी के बाद बिहार का राजस्व नहीं घटा और पर्यटकों की संख्या भी कम नहीं हुई क्योंकि यहां जो पर्यटक आते हैं वह धार्मिक स्वभाव वाले होते हैं. इसके साथ ही घरेलू हिंसा की घटना में भी काफी कमी आई है.