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बिहार चुनाव : निर्वाचित विधायकों में से 68 फीसदी पर आपराधिक मामले, RJD सबसे आगे

123 विजेताओं में से 19 पर हत्या के मामले, 31 पर हत्या के प्रयास और 8 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले हैं. आरजेडी के 74 में से 44, भाजपा के 73 में से 35, जद-यू के 43 में से 11, कांग्रेस के 19 में से 11, सीपीआई-एमएलएल के 12 में से 8 और एआईएमआईएम के 5 में से 5 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं.

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Published : Nov 12, 2020, 7:15 AM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में निर्वाचित 241 विधायकों में से कुल 163 (68 प्रतिशत) ने चुनावी हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है. बिहार में तीन चरणों के चुनावों के नतीजे बुधवार की सुबह 20 घंटे तक चली मतगणना के बाद घोषित किए गए.

बिहार इलेक्शन वॉच और और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कहा है कि लिस्ट में 73 फीसदी के साथ राजद नंबर वन पर है. 163 निर्वाचित विधायकों में से, 123 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल है.

123 विजेताओं में से 19 पर हत्या के मामले

2015 के विधानसभा चुनावों में, 142 (58 प्रतिशत) विधायकों ने हलफनामों में अपने खिलाफ ऐसे मामलों की घोषणा की थी. इस बार, एडीआर ने 243 विजयी उम्मीदवारों में से 241 के शपथपत्रों का विश्लेषण किया. 123 विजेताओं में से 19 पर हत्या के मामले, 31 पर हत्या के प्रयास और 8 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले हैं.

यहां देखें किसके कितने दागी

प्रमुख दलों में, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 74 विजेता उम्मीदवारों में से 54 (73 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले लंबित हैं. इसके बाद भाजपा के 73 में से 47 (64 प्रतिशत) निर्वाचित विधायकों पर आपराधिक मामले हैं. जदयू के 43 में से 20 (47 प्रतिशत) निर्वाचित विधायकों पर भी आपराधिक मामले हैं. कांग्रेस के 19 में से 16 (84 प्रतिशत), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (लिबरेशन) के 12 में से 10 (83 प्रतिशत), और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से पांच (100 प्रतिशत) पर भी आपराधिक मामले हैं.

एआईएमआईएम के 100 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले

आरजेडी के 74 में से 44 (60 फीसदी), भाजपा के 73 में से 35 (48 फीसदी), जद-यू के 43 में से 11 (26 फीसदी), कांग्रेस के 19 में से 11 (58 फीसदी), सीपीआई-एमएलएल के 12 में से 8 (67 प्रतिशत) और एआईएमआईएम के 5 में से 5 (100 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं.

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