पटना : क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम यानी सीसीटीएनएस परियोजना. वैसे तो 2012 में पूरे देश में सीसीटीएनएस योजना की शुरुआत हुई. लेकिन बिहार में यह कछुए की चाल में रेंग रहा है. तभी तो राज्य के आधे थाने ही अबतक पूरी तरीके से डिजिटाइज्ड हो पाये हैं.
क्यों बिहार रह गया पीछे?
बिहार में 1064 थाने हैं, इसमें से सिर्फ 535 थाने डिजिटाइज्ड हैं. काम तो शुरू हुआ वर्ष 2012 में, लेकिन 8 साल बीत गए अबतक पूरा नहीं हुआ. स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के आईजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि 2012 में जिस कंपनी को यह काम सौंपा गया था उसका कार्य संतोषजनक नहीं होने के कारण उच्चस्तरीय बैठक निर्णय के बाद उसके कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर दिया गया था. 2015 में उस कंपनी के द्वारा उसके अनुबंध को रद्द के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में रिट दायर किया गया था. जिसका फैसला 2017 दिसंबर में आया. जिस वजह से इस पर आगे की कार्रवाई हम लोग नहीं कर पाए. यही कारण है कि दूसरे राज्यों के तुलना में हम पिछड़ गए हैं.
अब तक पूर्ण रूप से बिहार के सभी थानों को सीसीटीएनएस से नहीं जुड़ पाए हैं. एससीआरबी के आईजी कमल किशोर सिंह ने बताया कि नए सिरे से नए वेंडर का चयन कर सितंबर 2018 में टीसीएस के साथ कांट्रैक्ट साइन हुआ. जिसके तहत पुलिस कार्यालय समेत बिहार के थानों को डिजिटलीकरण करने की दिशा में धीरे-धीरे हम लोग बढ़ रहे हैं. करोना काल ने भी इस पर काफी असर डाला है.
बिहार के लगभग आधे थाने डिजिटाइज्ड
कमल किशोर सिंह ने बताया कि सीसीटीएनएस परियोजना में 894 थानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. अब तक कुल 535 थानों को डिजिटाइज्ड किया गया है. जिन 535 थानों को डिजिटाइजेशन किया गया है, उन थानों में हुए एफआईआर अब आईसीजी के तहत ऑनलाइन माध्यम से न्यायालय तक पहुंच रहा है. हालांकि राज्य सरकार के द्वारा बाद में लिए गए निर्णय के बाद बिहार के सभी कुल 1064 जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से 535 थाने पूर्ण रूप से डिजिटाइज हो चुके हैं. उन सभी थानों के डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत किया जा रहा है.
40 जिलों में 37 जिलों में कार्य तेजी से प्रारंभ
एससीआरबी के आईजी ने बताया कि सभी थानों और पुलिस कार्यालयों में पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जैसे ही सभी लोग प्रशिक्षित हो जाएंगे तब पूरे राज्य के पुलिस डिजिटल मोड में ही काम करेगी. राज्य पुलिस के लगभग 50 प्रतिशत थाने डिजिटल मोड में काम करने लगे हैं. सीसीटीएनएस योजना के तहत पिछले 10 वर्षों के केस रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज किया जा रहा है. राज्य के 40 जिलों में 37 जिलों में यह कार्य तेजी से प्रारंभ किए गए हैं आने वाले कुछ महीनों में पिछले 10 सालों के केस रिकॉर्ड को हम डिजिटाइज कर देंगे. हालांकि उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि सिर्फ 10 वर्ष ही नहीं क्योंकि कोर्ट में पिछले कई वर्षों के मामले चलते आ रहे हैं जिस वजह से पिछले 20 वर्षों के केस रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने का निर्णय लिया गया है.
सिपाही से लेकर सीनियर आईपीएस अधिकारी तक को प्रशिक्षण की जरूरत
आईजी कमल किशोर के मुताबिक आने वाले कुछ ही महीनों में राज्य के सभी थाने सीसीटीएनएस योजना के तहत जुड़ जाएंगे. सभी थाने स्टेट डाटा सेंटर से जुड़ेंगे और हम खुद स्टेट डाटा सेंटर से नेशनल डाटा सेंटर से जुड़े हुए हैं. हमारी डाटा सीधे राष्ट्रीय स्तर पर अब जा रही है. आईसीजीएस के माध्यम से ही हम अपने डाटा को न्यायालय तक पहुंचा रहे हैं. आने वाले कुछ ही महीने में हम पूरी तरह से डिजिटललाइज हो जाएंगे. सिपाही से लेकर सीनियर आईपीएस अधिकारी तक को प्रशिक्षण की जरूरत पड़ रही है. सभी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गृह विभाग से मिले निर्देश के बाद सेवा निर्मित कार्मिक को प्रशिक्षण देकर आईटी कैडर बनाया जाएगा. उसके लिए हमारा प्रस्ताव स्थापना प्रभाव में मंतव्य के लिए गया है.
- बिहार के सभी थाने डिजिटलाइज हो जाएंगे तो सबसे आसान पुलिसकर्मियों के लिए होगा.
- अगर किसी अपराधी या किसी के बारे में कोई भी जानकारी लेनी होगी तो वह सीधे एक क्लिक बटन से उस कांड या उस अपराधी के बारे में आसानी से जानकारी जुटा सकेंगे.
- सिर्फ बिहारी नहीं देश के किसी कोने से यह जानकारी लिया जा सकता है.
- एसपी रैंक से लेकर डीजी रैंक के अधिकारियों के लिए खुद सुपरविजन के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा.
- जब सभी थाने और सभी पुलिस कार्यालय डिजिटलाइज हो जाएंगे तो आम जनता को सबसे ज्यादा फायदा होगा.
- वह घर बैठे ही केस से रिलेटेड किसी तरह की जानकारी आसाहनी से प्राप्त कर सकेंगे.