पटना:राजधानी के तारामंडल स्थित सभागार में 29वीं ( State Level Children Science Congress Organized in Patna) राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय साइंस फॉर सस्टेनेबल लिविंग था. साइंस फॉर (Science for Society Bihar and SCERT) सोसायटी बिहार और एससीईआरटी के द्वारा यह तीन (3 days Workshop On Science for Sustainable Living In Patna) दिवसीय आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश भर से 50 ग्रुप में बच्चे अपने प्रोजेक्ट को लेकर पहुंचे हुए हैं.
इस कार्यक्रम का समापन 19 दिसंबर को किया जाएगा. बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत करने और नवाचार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
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आपको बता दें कि, 29वें राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञाान कांग्रेस का थीम साइंस फॉर सस्टेनेबल लिविंग है. जिसके तहत 5 सब्जेक्ट पर बच्चों ने प्रोजेक्ट तैयार किया है.
1. इकोसिस्टम फॉर सस्टेनेबल लिविंग
2.एप्रोप्रियेट टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल लिविंग
3.सोशल इनोवेशन फॉर सस्टेनेबल लिविंग
4. डिजाइन, डेवलपमेंट एंड प्लैनिंग फॉर सस्टेनेबल लिविंग
5. ट्रेडिशनल नॉलेज फॉर सस्टेनेबल लिविंग
29 वीं राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन कार्यक्रम में भागलपुर से आए नवीं कक्षा के छात्र आदित्य आनंद ने बताया कि, सतत जीवन हेतु विज्ञान के सब टॉपिक सतत जीवन हेतु सामाजिक नवाचार के विषय पर उन्होंने प्रोजेक्ट तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग कर सड़क हादसों को किस प्रकार कम किया जा सकता है इस पर काम किया है.आदित्य ने बताया कि एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार देशभर में प्रत्येक 4 मिनट पर एक सड़क हादसे से मौत होती है.
ऐसे में सड़क हादसे को कम करने के लिए उन्होंने एक गाड़ी तैयार की है और उसके सामने एक अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाया है. इस सेंसर में उन्होंने 6 मीटर और 4 मीटर का रेंज फिक्स किया है. इस तकनीक के तहत गाड़ी कितने की भी स्पीड में चल रही हो अगर गाड़ी के सामने कोई ऑब्जेक्ट आता है, तो 6 मीटर की दूरी पर वह गाड़ी में अलार्म करेगा ताकि ड्राइवर जागरूक हो जाए. अगर ड्राइवर जागरूक नहीं होता है और उसने ईयर फोन लगाई हुई है तो 4 मीटर पर गाड़ी में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा. उन्होंने बताया कि, ड्राइवर को सीट बेल्ट पहनना होता है और गाड़ी के सभी सवार सीट बेल्ट पहना हो और गाड़ी में यह सिस्टम लगा हो तो सड़क दुर्घटनाओं को काफी कंट्रोल किया जा सकता है.
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वहीं, साइंस फॉर सोसायटी के प्रेसिडेंट प्रोफेसर अरुण कुमार ने बताया कि, राष्ट्रीय बाल कांग्रेस का उद्देश्य है बच्चों में साइंटिफिक टेंपरामेंट के साथ-साथ नवाचार के लिए प्रेरित करना. इसके लिए तीन स्तर पर कार्यक्रम किए जाते हैं और प्रथम स्तर पर जिले लेवल से बेस्ट प्रोजेक्ट वाले प्रोजेक्ट चुने जाते हैं. इसके तहत 50 प्रोजेक्ट का चयन किया जाता है जिसे बच्चे लेकर राज्य स्तरीय कार्यशाला में पहुंचते हैं जिसका यहां आयोजन हो रहा है.
कार्यक्रम में शिक्षाविद और वैज्ञानिक इसमें से 30 टॉप प्रोजेक्ट को चुनते हैं और उसे नेशनल लेवल पर आयोजित होने वाले वर्कशॉप के लिए चयन करते हैं. इन 30 प्रोजेक्ट में जो कुछ भी थोड़ी बहुत खामी होती है तो उसे विशेषज्ञ दूर करते हैं, ताकि बच्चे जब नेशनल लेवल पर रिप्रेजेंट करने जाएं तो अपने प्रोजेक्ट को अच्छी तरीके से रिप्रेजेंट करें. उन्होंने बताया कि टॉप 30 प्रोजेक्ट जो चुने जाएंगे उसमें सभी को 19 दिसंबर को यही तारामंडल सभागार में मंत्री सुमित सिंह की उपस्थिति में 5100 रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी इसके अलावा बाकी बचे 20 प्रोजेक्ट के छात्रों को ₹2100 की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी.
साइंस फॉर सोसायटी के प्रेसिडेंट प्रोफेसर अरुण कुमार ने बताया कि, यह वर्कशॉप स्कूल और ओपन दोनों लेवल पर आयोजित होता है इसलिए बच्चे किस कक्षा में है इसकी बाध्यता नहीं होती. यह बाल साइंस कांग्रेस दो ग्रुप में डिवाइडेड होता है. जिसमें एक ग्रुप में 10 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे होते हैं जबकि दूसरे ग्रुप में 14 से 17 आयु वर्ग के बच्चे होते हैं.
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