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'धारा 370 हटाने के फैसले से खतरे में इंसानियत और कश्मीरियत' - Jammu and Kashmir Reorganization Bill

आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले पर आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय से इंसानियत और कश्मीरियत दोनों खतरे में है. हम इसका विरोध करते हैं.

रघुवंश प्रसाद सिंह, आरजेडी उपाध्यक्ष

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Published : Aug 5, 2019, 11:16 PM IST

मुजफ्फरपुर: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के फैसले ने देश की राजनीति में उबाल ला दिया है. अलग-अलग प्रतिक्रियाओं के बीच बीजेपी में खुशी की लहर है. कई विपक्षी दलों को भी सरकार का साथ मिला है.जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी दोनों सदनों से पारित हो गया है. पूरे मामले में आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को एकजुट होकर इस फैसले पर चर्चा करनी चाहिए.

'सरकार के निर्णय से खतरे में इंसानियत और कश्मीरियत'
आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कश्मीर की समस्या आज से नहीं है. केंद्र सरकार ने अफरा तफरी में ये निर्णय लिया है. इससे कश्मीर की स्थिति सुधरने के बजाए और बिगड़ जाएगी. केंद्र सरकार के निर्णय से इंसानियत और कश्मीरियत खतरे में है. यह निर्णय देशहित और जनहित में नहीं हुआ. इस फैसले के साथ हम नहीं हैं. हम इसका प्रतिवाद करते हैं. आरजेडी नेता ने कहा कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था तो केंद्र सरकार को जल्दबाजी में ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए थे.

रघुवंश प्रसाद सिंह, आरजेडी उपाध्यक्ष

अनुच्छेद 370 में होंगे ये बदलाव
इस विधेयक में प्रदेश को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटा गया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. राज्यसभा में 61 मत इसके विपक्ष में पड़े, वहीं 125 मत इसके पक्ष में पड़े हैं. लोकसभा में ध्वनिमत से प्रस्ताव को स्वीकार किया. राज्यसभा में ही जम्मू कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को पास कराया गया. राज्य में उच्च जाति के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव भी इसमें शामिल है.

धारा 370 हटने के क्या मायने ?

  • पहले
  • अब
  • जम्‍मू-कश्‍मीर का अलग झंडा था. नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना नहीं था.
  • जम्‍मू-कश्‍मीर का अलग झंडा नहीं बल्कि भारत के दूसरे हिस्‍सों की तरह यहां भी तिरंगा ही लहराया जाएगा. राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे का सम्‍मान करना होगा.
  • वोट का अधिकार सिर्फ जम्‍मू-कश्‍मीर के स्‍थायी नागरिकों को था. दूसरे राज्‍यों के नागरिक को वहां की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने का अधिकार नहीं था.
  • दूसरे राज्‍यों के नागरिक भी अब जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं और वोट कर सकते है. धारा 370 समाप्‍त किए जाने के साथ ही सिर्फ जम्‍मू-कश्‍मीर के स्‍थायी नागरिकों को वोट का अधिकार वाला प्रावधान खत्म हो गया है.
  • जम्‍मू-कश्‍मीर के विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था
  • देश के किसी भी राज्‍य की तरह जम्‍मू-कश्‍मीर में भी अब विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का होगा.
  • जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास भारत और कश्मीर की दोहरी नागरिकता थी.
  • जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों के पास सिर्फ भारतीय नागरिकता होगी.
  • भारत के नागरिकों को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था. जम्‍मू-कश्‍मीर में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं थी.
  • धारा 370 के खत्‍म होते ही दूसरे राज्‍यों के लोग भी जम्‍मू-कश्‍मीर में जमीन खरीद सकेंगे.
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से शादी करती तो उसकी नागरिकता समाप्त हो जाएगी. लेकिन इसके उलट अगर किसी पकिस्तानी से शादी कर ले तो उस व्यक्ति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी.
  • धारा 370 हटाते ही दोहरी नागरिकता भी अपने आप खत्‍म हो गई है. इसलिए स्थानीय महिला के किसी भी भारतीय राज्य में शादी करने से भी भारतीय नागरिकता बरकरार रहेगी.
  • धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी.
  • धारा 370 हटाने के बाद कश्‍मीरी सिर्फ भारतीय नागरिक हैं. अगर कोई पाकिस्‍तानी भारतीय नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा.
  • देश के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते थे.
  • अब जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में भी भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्‍य होंगे.

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