मुजफ्फरपुरःकोरोना संक्रमणके कारण जिले में लॉकडाउन लगा हुआ है. इस लॉकडाउनमें जहां सरकार के लिए राहत देनेवाली बात यो है कि कोरोना संक्रमण के मामले का हो रहे हैं तो आम आदमी के लिए लॉकडाउन में बीता पूरा महीना दिक्कतों भरा रहा है. कइयों के खाने तक पर आफत आन पड़ी है.
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बात जिले के ऑटो चालकों की करें तो लॉकडाउन के कारण इनकी रोजी-रोटी खत्म होने के कगार पर है. आवागमन के लिए सरकार ने ऑटों चालकों को टेम्पो चलाने की छूट दी हुई है. लेकिन बादजूद इसके प्रशासन का डंडा इन ऑटो चालकों की रोज पड़ रहा है और इनकी कमाई चालान के रूप में पुलिस की जेब में चला जा रहा है.
चालान दिखाते हुए ऑटो चालक क्या हैं ऑटो चालकों की परेशानी
मुजफ्फरपुर जंक्शन पर ऑटो चलाने वाले राधेश्याम महतो बताते हैं कि प्रशासन के रवैये के कारण बहुत दिक्कत हो रही है. कहां से हम लोग बच्चों के पालेंगे. राधेश्याम कहते हैं कि- 'रोज आदमी 200 के आस-पास कमाई कर पा रहा है. 10 दिन कमाइये और 11 वें दिन चालान काट दे कोई, तो सारी कमाई गायब हो जाएगी है. अगर हर दिन चलान काटे तो हम कहां से देंगे, गाड़ी का किराया कहां से देंगे'.
वहीं स्टेशन से चलानेवाले ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष मो. सलमान कहते हैं कि सरकार की ओर से तो छूट दी गई है लेकिन प्रशासन के लोगों को ऑटो चालकों पर विश्वास नहीं होता है. वे कहते हैं कि स्टेशन से यात्रियों के ले जाते समय तो रास्ते में कोई नहीं टोकता क्योंकि यात्री पुलिस को टिकट की कॉपी दिखा देते हैं.
लेकिन वापस लोटते समय ऑटो चालकों के पास दिखाने के लिए कुछ नहीं होता, कइयों के पास तो फोन तक नहीं है जिसमें वे वाट्सएप पर यात्रियों से उनके टिकट की कॉपी ले सकें और रास्ते में पुलिस को दिखा सकें.
मनमाना चालान काट रहे हैं ट्रैफिक पुलिस कर्मी
सलमान बताते हैं कि ट्रैफिक पुलिस के कुछ जवान जान बूझकर ऑटो चालकों की ना सिर्फ पिटाई कर देते हैं बल्कि अमानवीयता दिखाते हुए ऑटो चालकों का मनमाना चालान भी काट रहे हैं. पुलिस की इस ज्यादती और आर्थिक दोहन से ऑटो चालक परेशान हैं.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं ऑटो चालक
बताते चलें कि कोरोना की वजह से पिछले डेढ़ वर्षों से गंभीर रूप से आर्थिक तंगी से जूझ रहे ऑटो चालकों की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है. कमाई बंद होने और अपने वाहन का लोन चुकाने में विफल दो चालक विगत वर्ष आत्महत्या तक कर चुके हैं. ऐसी विपरित हालत में भी जरूरी सेवा दे रहे ऑटो चालकों से पुलिस का अमानवीय व्यवहार प्रशासन पर कई सवाल खड़ा कर रहा है.