कटिहार: प्रवासी मजदूरों का रोजगार कार्ड बनने के बाद भी जिले में अब तक किसी को भी रोजगार नहीं मिला है. मजदूरों को घर परिवार चलाने में काफी समस्याऔं का सामना करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है. लॉकडाउन के दौरान करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर कटिहार लौटे थे. वहीं जिला प्रशासन की मानें तो 80 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा चुका है.
कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लगे लॉकडाउन के कारण बड़े शहरों में कई कंपनियां बंद हो गए, जिस कारण से लोगों का रोजी-रोजगार ठप पड़ गया है. लॉकडाउन के दौरान बिहार में लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट आए. बता दें कि कटिहार जिले में भी करीब 90 हजार प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौटे हैं. इन सभी मजदूरों को राज्य सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही थी और इसके लिए कई जिलों में सर्वे कर इन मजदूरों को चिन्हित किया गया. सर्वे करने के बाद कई मजदूरों को रोजगार कार्ड भी दिया गया लेकिन अब तक उन मजदूरों को कोई काम नहीं मिल सका है जिस कारण अब यह मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.
जॉब कार्ड के बाद भी नहीं मिल रहा काम
जिले की मनसाही प्रखंड के लहासा गांव के करीब 2 दर्जन से भी अधिक प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस लौटे थे. उन्हें 14 दिनों के लिए कोरेंटिन किया गया था. वहीं क्वारंटाइन के बाद जिला प्रशासन ने उन्हें रोजगार कार्ड भी दिया गया था. उन मजदूरों को रोजगार कार्ड मिले करीब 3 महीने पूरे होने को है लेकिन अभी तक इन मजदूरों को रोजगार नहीं मिल सका है, जिस कारण अब इन मजदूरों के सामने आर्थिक तंगी जैसे हालात हो गए हैं और अब इनके सामने घर परिवार चलाने में काफी समस्या हो रही है.