कटिहार: महाराष्ट्र के पुणे में हुए हादसे के बाद से कटिहार के तेरह लोगों की मौत ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. हादसे ने सिस्टम के मुंह पर एक करारा तमाचा जड़ा है. सूबा लंबे अर्से से रोजगार के अभाव में पलायन का दंश झेल रहा है. अफसोस इस बात का की इस मूल समस्या पर कोई जनप्रतिनिधि, कोई नेता, कोई माननीय बात नहीं करना चाहते. सिर्फ मौत के बाद मुआवजे का चेक थमा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है.
पुणे हादसे के बाद पीड़ितों से मिलने पहुंचे मंत्री हादसे के मुख्य कारणों पर चर्चा नहीं
इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. हादसे के बाद राज्य सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह पीड़ितों के गांव पहुंचे, सांत्वना की घुट्टी पिलायी, हर मुमकिन मदद का भरोसा दिया और चलते बने. उन्होंने इस हादसे के पीछे उसके मुख्य कारणों पर कोइ चर्चा नहीं की. किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की.
रोजगार का कोई साधन नहीं
पीड़ित परिजन कहते हैं कि यहां से अधिकतर लोग रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख करने को मजबूर होते हैं. इलाके में रोजगार का कोई साधन नहीं है. मजबूरन लोगों को बाहर का रुख करना पड़ता है.
सरकार पलायन रोकने के लिये गंभीर- सांसद
स्थानीय सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी ने भी पलायन के मुद्दे पर गोल-मोल जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बिहार पिछड़ा राज्य है. अधिकतर आबादी रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर है, लेकिन सालों भर यहां खेती नहीं होती. इसी कारण स्थानीय लोगों को खाली समय में रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ता है. माननीय इस मामले पर भी अपनी सरकार की तारीफ करना नहीं भूले. सांसद ने कहा कि राज्य की नीतीश सरकार पलायन रोकने के लिये गंभीरता से काम कर रही है.