कटिहार: दिव्यांगों की मदद के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. उन्हें सरकारी क्षेत्रों में नौकरी के लिए 3 फीसदी और निजी क्षेत्रों में 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा है, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. लेकिन, दिव्यांगों की एक बड़ी संख्या आज भी सर्टिफिकेट, पेंशन आदि के चक्रव्यूह में फंसकर परेशान है.
दिव्यांगों में नहीं है उत्साह
कटिहार सदर अस्पताल में प्रमाणपत्र के लिए मेडिकल टेस्ट देने आए दिव्यांगों से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की, तो पता चला कि दिव्यांगों में इन सरकारी योजनाओं को लेकर कोई उत्साह नहीं है. उनका मानना है कि नौकरी के रास्ते इतने आसान नहीं हैं. वे सरकार की मदद से अपनी दुकानें खड़ी करना चाहते हैं.
योजनाओं का लाभ पाना आसान नहीं
विकलांग नीरज बताते हैं कि उनलोगों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ पाना इतना भी आसान नहीं है. बैंक अधिकारियों की वजह से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. उन्होंने बैंक में ऋण के लिए अप्लाई किया था. लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला.
प्रमाण पत्र के लिए मेडिकल टेस्ट देने पहुंचे दिव्यांग नहीं मिलती है नौकरी
भारत सरकार के आरसीआई के जोनल कॉर्डिनेटर शिवशंकर रमानी का भी मानना है कि दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का कुछ विशेष फायदा नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि जब कोई दिव्यांग किसी कार्यालय में नौकरी के लिए पहुंचता है, तो उसे यह कहकर नौकरी नहीं दी जाती है कि आप तो दिव्यांग हैं, आपको काम कैसे दे सकते हैं.
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