कटिहार: कांग्रेस महासचिव तारक अनवर (Congress General Secretary Tariq Anwar) का कहना है कि अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) का मुद्दा भारत के लिये चिंता का विषय है. इस पर भारत को वेट एंड वाच की पॉलिसी (Wait and watch policy on Afghanistan) अपनानी चाहिए. कटिहार (Katihar) के सद्भावना भवन में मीडिया से मुखातिब होते हुए कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने कहा कि अफगानिस्तान भारत के लिये गंभीर विषय है.
ये भी पढ़ें: काबुल हवाई अड्डे के निकट रॉकेट हमले
उन्होंने कहा कि भारत का स्टैंड शुरू से ही तालिबान के खिलाफ रहा हैं. तालिबान जिस तरह से वहां की राजनीति पर हावी हो रहा हैं, यह भारत के लिये चिंता का विषय हैं. भारत का स्टैंड आतंकवादी शक्तियों के खिलाफ (Against Terrorist Forces) रहा है. अब उससे बातचीत करनी पड़ेगी, संबंध बनाना पड़ेगा. यह सरकार के लिये चिंता का विषय है. अभी इस पर वेट एंड वॉच की पॉलिसी होनी चाहिये, अभी सभी राजनीतिक दलों की यही राय है.
प्रधानमंत्री ने बहुत राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाया था. इस मुद्दे पर बातचीत की थी. उसमें जो एक आम राय (Comman Political Consensus) बनी कि अभी अफगानिस्तान मुद्दे पर जो बदलाव हो रहे हैं, उस पर नजर रखनी चाहिये और वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपनानी चाहिये. अफगानिस्तान के भविष्य के स्वरूप को ध्यान में रखकर भारत को विदेश नीति बनानी चाहिये.
यहां बता दें कि तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भारत को क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश बताते हुए कहा है कि तालिबान भारत के साथ अफगानिस्तान के व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है. स्तानिकजई ने पश्तो भाषा में जारी एक वीडियो संबोधन में कहा कि काबुल में सरकार बनाने के लिए विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का प्रतिनिधित्व होगा.
ये भी पढ़ें: जो बाइडेन ने काबुल हमले में शहीद 13 जवानों के शव को किया रिसीव
स्तानिकजई ने कहा है कि हम भारत के साथ अपने व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत महत्व देते हैं. उस संबंध को बनाए रखना चाहते हैं. पाकिस्तान के जरिये भारत के साथ अफगानिस्तान का व्यापार बहुत महत्वपूर्ण है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) ने गत सप्ताह कहा था कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि भारत अफगान संकट पर प्रमुख हितधारकों और क्षेत्रीय देशों के साथ सम्पर्क में है.
भारत ने इसको लेकर अभी वेट एंड वाच का रुख अपनाया हुआ है कि क्या अफगानिस्तान में नयी सरकार पूरी तरह से तालिबान की सरकार होगी या अन्य अफगान नेताओं के साथ सत्ता-साझाकरण व्यवस्था का हिस्सा होगी. भारत अफगानिस्तान में एक प्रमुख हितधारक रहा है और उसने देश भर में लगभग 500 परियोजनाओं को पूरा करने में लगभग 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश किया है.
ये भी पढ़ें: अफगानिस्तान में बदल रहे सत्ता समीकरण भारत के लिए चुनौती : राजनाथ सिंह